शीतला मैया के दरबार में लग रहा भक्तों का तांता, प्रतिवर्ष मां बगलामुखी के लिए निकाली जाती है चुनर यात्रा
राकेश बिकुन्दिया, सुसनेर। यूं तो क्षेत्र में आस्था के केन्द्र अनेक है, लेकिन सुसनेर के मेला ग्राउण्ड में स्थित शीतला माता का मंदिर इनमें से अनूठा है। भक्त की सच्ची श्रृद्धा मां शीतला के दरबार में मोहक प्रतिमा के दर्शन करने मात्र से पूरी हो जाती है। यहां मां श्रृद्धाुलओ के मन की उद्धिग्नता शांत करती है और शीतलता का आभास कराती है। कंठाल नदी के किनारे स्थित शीतला मैया का यह मंदिर नवरात्र में श्रृद्धालुओ की अटूट आस्था का केन्द्र बना हुआ है। पूरे नगर में एक मात्र मंदिर होने से विवाह के समय इसी मंदिर में दुल्हा-दुल्हन के द्वारा माता पुजन की रस्म पूरी की जाती है। मातारानी के आर्शीवाद से ही युवक-युवतीयों का ब्याह सम्पन्न होता है।
आकर्षक है गर्भगृह की सजावट
शीतला माता मंदिर में आकर्षक कांच के दर्पण से की गई गर्भगृह की सजावट लोगो का मन मोह लेती है। यहां मां शीतला की मनमोहक प्रतिमा के दर्शन करने और अपनी मन्नत मांगने के लिए दूर- दूर से श्रृद्धालु आ रहे है। पूरा गर्भगृह झिलमिलाते रंग -बिरंगे कांच की कलाकृतियो से सुसज्जित है।
मां के आर्शीवाद से ही पूरा होता है विवाह
नगरीय क्षेत्र में हिन्दू परम्परा के अनुसार होना वाला कोई भी विवाह मां शीतला के आर्शीवाद के बिना पूरा नही होता है। विवाह से पूर्व दुल्हा-दुल्हन का माता पूजन इसी मंदिर में किया जाता है। उसके बाद ही विवाह की अन्य रस्में शुरू हुोती है।
इनके भी होते है दर्शन
इस मंदिर के गर्भगृह में ही शीतला माता के साथ गुणानी माता, मोतीसर महाराज और चामुण्डा माता भी विराजमान है। साथ मंदिर परिसर में दूधाखेडी वाली माताजी की प्रतिमा, भेरू महाराज व तनोडिया वाली लाल माताजी के भी दर्शन होते है।
चल रहा है निर्माण कार्य
क्षेत्रिय विधायक राणा विक्रमसिंह ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए अपनी विधायक निधि से 5 लाख रूपये की राशि दी है। जिसके फलस्वरूप यहां पर निर्माण कार्य चल रहा है। पंडित जोशी के अनुसार श्रृद्धालुओ का भी सहयोग मिल रहा है। किन्तु एक मात्र शीतला माता का मंदिर होने के कारण श्रृद्धालुओं की सुविधा बढाने के लिए मंदिर में जनसहयोग की और जरूरत है। जिसकी अपील उन्होने श्रृद्धालुओं से की है।