मालवा खबर @ राकेश बिकुन्दीया, सुसनेर।
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सुसनेर। इस बार के विधानसभा चुनाव में सुसनेर का विधायक बनने के लिए कुल 8 उम्मीदवार मैदान में है। इनमें से 3 राजनेतकि दलो से है तो 5 उम्मीदवार निर्दलीय है। एक तरफ जहां भाजपा से पूर्व विधायक संतोष जोशी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं वहीं कांग्रेस से बागी होकर जिला पंचायत सदस्य जीतू पाटीदार भी चुनाव लड रहे है। आपको बता दे की निर्दलीय के तोर पर ही जीतू पाटीदार ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता था। और अब सुसनेर विधानसभा में अपना भाग्य आजमाने लिए भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में है। जीतू पाटीदार एक युवा चेहरा है और अपनी जीत के लिए जी तोड़ प्रचार प्रसार में लगे हैं। इसके चलते कल रविवार को जीतू पाटीदार अपने समर्थको व कार्यकर्ताओ के साथ विधानसभा के सोयतकलां नगर में रैली निकालकर जनसम्पर्क करेंगे, जिसके लिए काफी तैयारियां की जा रही है ताकि रैली विशाल स्वरूप में निकले। जीतू का कहना है की वे जनता की मांग पर सुसनेर विधानसभा को भयमुक्त करने व विकास के क्षेत्र में नए आयाम गढने के लिए चुनाव लड रहे है। पिछले कुछ दिनो से उनका जनसम्पर्क सुसनेर विधानसभा के नलखेडा क्षेत्र में चल रहा था और अब रविवार की दोपहर 12 बजे से सोयत में रैली के माध्यम से जनसम्पर्क की शुरूआत होगी। दोपहर 12 बजे सोयत से रैली की शुरूआत होगी। उसके बाद यह रेली दोपहर 3 बजे डोंगरगांव पहुंचेगी फिर शाम को 5 बजे उनकी रेली विधानसभा के अंतिम छोर के गांव बराई में पहुंचेगी। इस रैली में जीतू के साथ हजारो समर्थको के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
दोनो प्रमुख दलों की चिंता का विषय है निर्दलीय
विधानसभा का चुनाव लडने के लिए निर्दलीय मैदान में उतरे संतोष जोशी और जीतू पाटीदार सहित अन्य निर्दलीय भाजपा कांग्रेस सहित अन्य दलों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं, 2018 में 66 साल का रीकार्ड तोड़ते हुए मतदाताओं ने एक निर्दलीय को विधायक बनाया था, इसलिए इनका चिंता करने लाजमी है। सुसनेर विधानसभा पाटीदार बाहुल्य क्षेत्र है इसलिए जीतू पाटीदार भाजपा-कांग्रेस के पम्परागत वोटो में सेंध लगा सकते है। क्यों कि दोनो ही प्रमुख राजनेतिक दलो में इस समय गुटबाजी हावी है साथ ही बडी संख्या में कार्यकर्ता दोनो ही दलो के द्वारा चुनावी रण में उतारे गए प्रत्याशीयों के प्रति ज्यादा मोह नही दिखा रहे। खास बात यह है की जीतू पाटीदार जिस समाज से आते है उनके वोटरो की संख्या 35 हजार से भी अधिक है। अगर समाज का समर्थन जीतू को अच्छा खासा मिलता है तो यहां के चुनाव का रुख ही बदल जाएगा। इन सब समीकरणो के चलते इस चुनाव में ऐसा माना जा रहा है की जीतू इस बार दोनो पार्टीयो के प्रमुख दलो के परम्परागत वोटों में सेंध लगाकर के चुनावी समीकरण बिगाड सकते है।