” मेहनतकश इन हाथो को अब उनका हिस्सा देना है
दीवाली की रौनक हो स्वदेशी माटी से अंधेरे से निकलकर इनको रोशनी में जीना है”
मालवा ख़बर@ राकेश बिकुन्दीया। शुक्रवार से पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरूआत हो जाएगी। नगर में कई कुम्हार व गरीब परिवार ऐसे है जाे आपके घर आंगन को रोशन करने के लिए मिट्टी के दीपक व कपास की रूई बेच रहे है। इनके द्वारा नगर की सडको के किनारे बेची जाने वाली दीया और बाती से ही हमारी दीपावली रोशन हो रही है। इस दीपावली पर इनसे अधिक से अधिक दीये और बाती की ये रूई खरीदकर इनकी दीपावली रोशन करने का प्रयास करे। दीपावली पर्व पर मिट्टी के दीये जलाने की परम्परा सदीयों से रही है, पर इधर कुछ सालो से देखा जा रहा है की कई घरो में मिट्टी के दीये नाम मात्र के जलाए जा रहे है। इनकी जगह लोग चायनीज दीये का इस्तेमाल कर रहे है जबकी यह पर्यावरण और भारतीय संस्कृति के अनुकूल नही है। इससे कुम्हारो के व्यवसाय को भी क्षति पहुंच रही है। मिट्टी के दीएं को अलग- अलग आकार देना व इनको सजाना एक कला है। इस कला को अगर समाज में हमेशा के लिए जीवित रखना है तो हम सबको इस दीपावली पर मिट्टी के दीये ही जलाने का संकल्प लेना चाहिए।
मिट्टी के दीयें जलाने के लाभ-
शास्त्रो के अनुसार मिट्टी के दीयें हमेशा पवित्र माने जाते है। जिस घर में हर दिन दीपक जलाया जाता है। वहां सुख समृद्धि हमेशा कायम रहती है। दुसरी बात यह सर्वसुलभ है। जिन घरो मंे आय का अच्छा स्त्रोत नही है। वहां भी मिट्टी के दीयें आसानी से खरीदे जा सकते है। तीसरी बात यह है की जब हर घर में मिट्टी के दीयें जलाए जाएंगे तो सभी जगह समानता दिखेगी। इससे उस उत्सव की सार्थकता भी बरबकरार रहेगी।
इनकी मेहनत को मिले मुकाम
मिट्टी के दीयें को बनाने के लिए कुम्हार भाई दो महीने पहले से ही तैयारीं करने लगते है। दूर- दूर से मिट्टी लाते है। उन्है आकार देते है फिर पकाते। कई बार कई दीपक बेकार हो जाते है। दिन-रात वे मेहनत करते है। इनकी मेहनत तब साकार होगी। जब पुरा शहर इनके द्वारा तैयार किए गए मिट्टी के दीयें को खरीदेगा। इसके बारे में हमे भी सौचना होगा। इन दीयें की कीमत केण्डल ओर चायनीज दीयों से भी कम होती है। अगर आप सभी चाहते है की इन कुम्हारो के घरो में भी अच्छी दीपावली मनाई जाए। तो इस बार ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के दीयें खरीदे।