सुसनेर। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा गुरूवार को शासकीय सिविल चिकित्सालय में मॉकड्रिल किया। इस दौरान अस्पताल कर्मियों को आग से निबटने के तरीके सिखाए गए। आग लगने की स्थिति में किस तरह से बचाव और नुकसान को कम किया जा सकता है, इसके लिए अस्पताल में मॉक ड्रिल किया गया। मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.राजीव कुमार बरसेना एवं मेडीकल अाफिसर डॉ.बी.बी.पाटीदार ने बताया कि आग सिर्फ माचिस से नहीं लगती है। इसके लिए हवा और माध्यम भी जरूरी है। इन तीन में से एक का भी स्रोत बंद करने पर आग बुझ जाएगी। वह माध्यम डीजल, पेट्रोल, गैस, कागज, धातु, लकड़ी या अन्य वस्तुएं हो सकती हैं। किसी भी प्रकार के आग के लिए समय के अनुसार ही आग बुझाने का प्रयास करना चाहिए। आग लगने के बाद धैर्य रखने की जरूरत है। अस्पताल के मेटरनिटी,जनरल वार्ड सहित अन्य जगहों पर अग्निशमन यंत्र रखी रहती है। बाद में आग लगने की स्थिति में किस तरह से आग को बुझाना है इस संबंध में जानकारी प्रदान की गई। मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.राजीव बरसेना,डॉ.बी.बी.पाटीदार,डॉ.सुिमत जैन,डॉ.नीलम जैन, डॉ. हर्षिता टटावत,डॉ.यशी चौरसिया, बीपीएम दोलत मुजाल्दे,बीसीएम मुकेश सुर्यवंशी,बीईई प्रेमनारायण यादव,अस्पताल के भेरूलाल राठौर,गिरिश जैन,नर्सिग आफिसर साहिबा कोसर,रवि मालाकार,रविंद्र नागर, रितेश राठौर,हरिराम ओसारा,गगन जैन,शाहरूख खाॅन,मनीषा किरार,महेंद्र सूत्रकार,एकता जैन,संजना गोस्वामी,पूजा कोहली,प्रकाश मेहर,सुरेश डाबर सहित सफाई कर्मचारी मौजूद थे।
हंगामा नहीं प्रयास करें
उन्होंने बताया कि अस्पताल में आग लगने की जानकारी मिलती है, जिसके कई कारण हो सकते है। ऐसे में हंगामा करना सबसे खतरनाक साबित होता है। इससे आपाधापी मच सकती है। इससे कई बार रोगियों की जान पर बन आती है। वहां कई स्वास्थ्यकर्मी काम कर रहे होते हैं। इनमें से एक तो आग पर काबू पाने का प्रयास करें। क्याेंकि अस्पतालों में रोगियों का इलाज चलता रहता है। ऐसी परिस्थिति में धैर्य से काम लें और आग में फंसे रोगियों को एक-एक कर बाहर निकालने का प्रयास करें। जो रोगी उठने या चलने लायक नहीं हैं। वैसे लोगों को एक या तीन स्वास्थ्यकर्मी उन्हें अपने कंधे या हाथों पर उठाकर बाहर ले जा सकते हैं। इसके अलावा अन्य कई जानकारी अस्पताल के कर्मचारियों को प्रदान की गई।