मप्र-राजगढ़। इस लड़ाई में अर्जुन बनो, शस्त्र उठाओ और मेरे साथ कृष्ण की भूमि मथुरा चलो… यह कहना है पं. देवकीनंदन ठाकुर का। वे इन दिनों राजगढ़ जिले के छापीहेड़ा में श्रीमद् भागवत कथा कर रहे हैं। उन्होंने कृष्ण जन्मभूमि, वेब सीरीज बनाने वालों को जेल में डालने, अजमेर शरीफ समेत कई मुद्दों पर विचार व्यक्त किये। पं. देवकीनंदन कहते हैं मेरे हृदय में चिंता सिर्फ सनातन की है, आने वाली पीढ़ी और भारत माता की है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की राजा कौन है। राजा तो आते हैं… चले जाते हैं। ये पीढ़ियां सुरक्षित रहनी चाहिए। राम जी के पधारने के बाद ठाकुर जी का भी चक्कर चलेगा। उन्होंने छापीहेड़ा में भी कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति करवाने के लिए सनातन यात्रा निकाली। इस दौरान उन्होंने कहा- हमने अप्रैल महीने में कथा के दौरान भोपाल से इसकी शुरुआत की थी। जब तक कृष्ण जन्मभूमि मुक्त नहीं हो जाती और वहां पर कन्हैया के मंदिर के निर्माण का आदेश नहीं मिलता, सनातनियों को जगाने का कार्य जारी रहेगा। मानवता के गुणों को ध्यान में रखकर बात की जाए तो आज भी भारत विश्व गुरु है, था और हमेशा रहेगा। हिंदू राष्ट्र, रामराज्य एक दिन जरूर आएगा। तब कोई भी कष्ट में नहीं रहेगा।
मनुष्य की पहचान उसके कर्म, विचार, स्वाभाव, संस्कार से होती है…सब से बड़ी सम्पत्ति भगवान का नाम होता है…
पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज के पावन सानिध्य में स्थान – कृषि उपज मंडी प्रांगण, छापीहेडा, जिला – राजगढ़, मध्य प्रदेश में 17 से 23 दिसम्बर 2023 तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस की शुरुआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज जी ने भक्तों को ” मेरी लगी श्याम संग प्रीत” भजन का श्रवण कराया।
मनुष्य उन लोगों को कभी याद नहीं करता जिसने उसे चलना सिखाया है बल्कि उन्हें याद रखता है जो बस गलत काम करना सिखाते हैं। जो मनुष्य अपने माँ-बाप की इज़्ज़त नहीं करता वो व्यक्ति कभी किसी की इज़्ज़त नहीं करता है। शास्त्र कहते हैं कि अगर मनुष्य किसी बड़े व्यक्ति के सामने आने से उनका आदर नहीं करते तो वह मनुष्य सजा का भोगी होता है। मनुष्य अपने कर्मों से बड़ा बनता हैं ना की अपने धन से मनुष्य चाहे कितना भी बड़ा हो जाये लेकिन कभी भी उस इंसान में अहंकार नहीं आना चाहिए।
संस्कारों से मनुष्य बड़ा होता है, पैसे से कोई बड़ा नहीं होता क्योंकि पैसा तो एक वैश्या भी कमा लेती है इसलिए मनुष्य को अपने संस्कार बड़े रखना चाहिए क्योंकि जिसके जितने बड़े विचार होंगे मनुष्य उतना ही महान होता है। ऐसा कहते हैं मनुष्य अपने विचार ,संस्कार ,कर्म उदारता , दया भाव ,स्वभाव से ही बड़ा बनता है और इन सब से ही मनुष्य की पहचान होती है।
एक सनातनी को सब की सेवा करनी चाहिए और इतनी सेवा करो जो कोई भी आकर यह नहीं कह पाए की सनातन धर्म अच्छा नहीं है और कोई सनातनी को धर्म परिवर्तन करने के लिए ना कह सके और ना ही कोई सनातन धर्म पर उंगली उठा पाए। परोपकार करना ही मनुष्य का धर्म होता है और जो व्यक्ति जितने बुरे कर्म करता है वह व्यक्ति उतना ही सजा का हक़दार होता है।
सनातन धर्म में गाय को माता माना गया है। गाय में 33 कोटि देवी-देवता माने जाते हैं इसलिए हर सनातनी को गाय का पालन करना चाहिए। सब से बड़ी सम्पत्ति भगवान का नाम होता है क्योंकि जो मनुष्य अपने अंतिम समय भगवान का नाम लेता है तो सारे देवी-देवता उस मनुष्य के ऊपर फूलों की वर्षा करते हैं और मनुष्य जीवन में भगवान का नाम हर दिन जपना चाहिए। जिसकी जुबान पर भगवान का नाम नहीं है उससे गरीब इंसान कोई नहीं होता है और जो व्यक्ति गले में तुलसी या हाथ में कलावा नहीं पहनता है वह सच्चा सनातनी नहीं होता।
मनुष्य को कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो ये कहे की तू अपने माँ-बाप का सम्मान है। मनुष्य को एक सच्चा सनातनी होना चाहिए और अपने धर्म के प्रति जागृत रहना है और अपने आने वाली पीढ़ी को बचाना है। जो काम सनातन के हित में हो वह काम मनुष्य को करना चाहिए और एक अच्छा सनातनी बनो लेकिन किसी भी मनुष्य को दुःख मत दो।