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November 17, 2024 3:46 am

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पं. देवकीनंदन ठाकुर ने कहा: मृत्यु जीवन का अकाट्य सत्य है…हर परिस्थिति में धर्म की रक्षा करनी चाहिए

राजगढ़- मप्र। पूज्य श्री देवकीनंदन जी ठाकुर के पावन सानिध्य में कृषि उपज मंडी प्रांगण, छापीहेडा, जिला – राजगढ़, मध्य प्रदेश में 17 से 23 दिसम्बर 2023 तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। श्रीमद् भागवत कथा के समापन दिवस की शुरुआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज जी ने भक्तों को “जगत सब छोड़ दिया सांवरे तेरे पीछे” भजन का श्रवण कराया।

काल कभी किसी को मारता नहीं है लेकिन जिसका समय आ जाता है उसके सामने ऐसी परीस्थिति उत्त्पन कर देता है जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है। जीवन का अकाट्य सत्य मृत्यु है काल केवल, समय का प्रयोग करता है समय के साथ-साथ ही मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। जब मनुष्य के पीछे काल लग जाता है तो उसका पीछा मृत्यु तक करता है और मनुष्य के जीवन से पहले ही उसकी मृत्यु का समय,स्थान और कारण तय हो जाता है मनुष्य चाहे कितना भी बलवान क्यों ना हो लेकिन कभी भी अपनी मृत्यु से नहीं भाग सकता है।

भगवान धर्म की रक्षा करने के लिए आते हैं तो हमारा भी धर्म बनता है कि हम भी धर्म की रक्षा करें और धर्म की रक्षा करने के लिए मनुष्य को बुरे काम से दूर रहना होगा। हर एक हिन्दू को माथे पर तीलक और हाथ में कलावा रखना चाहिए। बहन बेटी को अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी क्योकि कोई नहीं आएगा आपकी रक्षा करने के लिए इसलिए हर एक स्त्री को अपने सनातन धर्म का ध्यान रखना चाहिए इसलिए हाथ में कलावा और माथे पर तीलक अवश्य लगाना चाहिए।

हर मनुष्य को अपने घर में सनातन धर्म को जगाकर रखना हैं भगवान भी कहते हैं की कर्म से या वल से जैसे भी धर्म की रक्षा होती हो वैसे धर्म की रक्षा करनी चाहिए क्योकि भगवान ने खुद धर्म की रक्षा हर एक परिस्थिति में की थी। जिसका नमक मनुष्य खाता है उसका कभी भी बुरा नहीं करना चाहिए। मनुष्य को अपने जीवन में भगवान का नाम हर दिन जपना चाहिए।

जो लड़का लड़की कोर्ट मेर्रिज करते हैं और उनकी कोई संतान उत्पन होती है तो वह संतान वर्णसंकर संतान कहलाती है और उनका दिया हुआ दान कभी भी पूरा नहीं होता है। सनातन धर्म में अग्नि,जल, वायु, आकाश सब कुछ एक दूसरे की गवाही देता है जब दो लोग शादी के बंधन में बंधे हैं। सनातन धर्म में मृत्यु के बाद भी ठाकुर जी दोनों पति-पत्नी को साथ ही रखते हैं।

मनुष्य को अपने माँ-बाप की मर्ज़ी के बिना कभी कुछ कार्य नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनसे ज्यादा कोई भी तुम्हारा अच्छा नहीं चाहा सकता इसलिए हमेशा अपने घरवालों को प्रशांत प्रदान करते रहे।

malwakhabar
Author: malwakhabar

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