सुसनेर। समीपस्थ ग्राम गुराडिया सोयत में चल रही नानी बाई का मायरा की कथा के अंतिम दिन भक्त नरसिंह मेहता की लाज बचाने के खातिर ठाकुर जी ने 56 करोड से नानीबाई का मायरा भरा। इस दौरान यहां पर मौजूद श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। कुछ दिनों पूर्व गांव में ही वानर राज का दशा कर्म करने वाली समिति एवं ग्रामीणों को सम्मानित भी किया गया। कथा में आई दानराशि को कथावाचक ने ग्राम में ही भेंट कर दी।
यहां पर राजगढ-ब्यावरा के कथावाचक सत्यनारायण सोनी ने श्रद्धालुओं को नानी बाई के मायरे की कथा का महत्व समझाया। उन्होने कहां की ठाकुरजी ने अंजार नगर पहुंचकर 56 करोड से नानीबाई का मायरा भरा।
अपने भक्त नरसिंहजी के लिए ठाकुरजी के द्वारा भरे गए मायरे में उपस्थित श्रृद्धालुओ ने भी अपनी और से दान- दक्षिणा भी भेंट की। जब नानीबाई और नरसिंहजी का मिलन ठाकुरजी की मौजूदगी में होता है तो श्रृद्धालुओ की आंखे नम हो जाती है। अंत में सभी ठाकुरजी के साथ नृत्य करते है।
व्यासपीठ से कथावाचक सत्यनारायण सोनी ने कहां की नानीबाई के मायरे की कथा समाज में हो रही कुरूतियों को समाप्त करने के उदेश्य से आयोजित की जाती है। सच्चे भक्त की तो एक बार परीक्षा ली जाती है लेकिन नरसिंहजी को तो बार- बार परीक्षा देना पडी है।
तीन दिवसीय इस कथा के समापन अवसर पर ग्रामवासियों व आयोजन कर्ताओं के द्वारा श्री सोनी का साफा बांधकर व श्रीफल भेंट करके स्वागत भी किया गया। मायरे के दोरान श्री कृष्ण और राधा बने बच्चों ने श्रद्धालुओं का मन मोहा। कार्यक्रम के समापन अवसर पर आरती कर प्रसादी वितरित की गई इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन मौजूद रहे।