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November 16, 2024 10:23 pm

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सोयतकला: कारसेवा का जुनून, माता पिता के मना करने के बाद भी अयोध्या राम जन्मभूमि पहुंचे थे 32 कारसेवक

सोयतकला@ मालवा खबर। राम जन्मभूमि आंदोलन जब अपने चरम पर चल रहा था। उस समय की युवा पीढ़ी में उत्साह और जुनून था। रेडियो और अखबारों के माध्यम से अयोध्या और कारसेवकों की बातें सुनने मिलती थी। इससे युवाओं में भी कारसेवक बनने का जुनून देखा जाने लगा। उसी समय दिसंबर माह शुरू हुआ और अयोध्या जा रहे कई कार सेवकों को देखकर जाने की इच्छा हुई, लेकिन परिवार, समाज और जिम्मेदारियों के चलते जाना मुश्किल हो रहा था। धीरे-धीरे मन में कारसेवा का जुनून जब बढ़ा तो माता-पिता के मना करने के बाद भी सोयतकला क्षेत्र से 32 कारसेवक सेवा करने के लिए बस में बैठकर अयोध्या पहुंच गए।

कारसेवक राजेश कुमरावत ने बताई आपबीती – मेरी उम्र उस समय 21 वर्ष की थी माता-पिता के मना करने के बाद भी कारसेवा का इतना जुनून था कि अपनी पूरी मित्र मंडली के साथ परिवार वालों से झूठ बोलकर निकल पड़े और अयोध्या पहुंच गए। उस समय सोयतकलां क्षेत्र के 32 नौजवान कार सेवकों में कई कारसेवक ऐसे थे जो अपने माता-पिता की बिना अनुमति के चोरी-छिपे अपने घर से निकले थे।प्रतीकात्मक की सूचना से आक्रोशित हो गए थे सेवक 5 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद राम कथा कुंज में बनाए गए मंच से संदेश मिला कि कल 6 दिसंबर को हम सब कार्य सेवकों को प्रतीकात्मक कार्य सेवा करना है, इसके लिए हमें सरयू नदी से एक-एक मुट्ठी रेत लाकर जन्म भूमि स्थल तक पहुंचाना है। इस प्रकार की विश्व हिंदू परिषद के संदेश के बाद सभी कार सेवक आक्रोशित हो गए। सबका कहना था कि हम बाबरी मस्जिद बाबरी ढांचा ढहाने आएं है, प्रतीकात्मक कार सेवा करने नहीं आए। इसके बाद जो भी हुआ वह एक इतिहास बन गया। पूरा घटनाक्रम दो से तीन घंटे में खत्म हो गया। और आज हम आने वाली 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने वाले हैं।

16 की उम्र में बने कारसेवक कारसेवक कमल किशोर वैद्य की उम्र 16 साल थी उन्होंने बताया वह अपने परिजनों के मना करने के बाद भी छोटी सी उम्र में कार सेवा में जाने के लिए लालायित थे। लेकिन मन में निश्चित कर लिया था कि मैं कार सेवा के लिए जाऊंगा।अयोध्या जाने की जिद करने पर माता-पिता ने 29 नवंबर को ही उसको घर में बंद करके ताला लगा दिया था। 30 नवंबर को सुबह शौच जाने के लिए बाहर निकाला और घर की छत पर चढ़कर तीन-चार मकानों की छत पर से होता हुआ जैसे-तैसे भागकर बस तक पहुंचा। इसके साथ ही बस पकड़कर कारसेवा के लिए अयोध्या निकल पड़ा। उस समय पूरे जत्थे में वह 16 साल की उम्र के सबसे छोटे कार सेवक थे।

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Author: malwakhabar

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