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November 16, 2024 10:47 pm

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सोयतकला: 6 दिसंबर 1992 को हमारी आंखों ने देखा अतीत के इतिहास को वर्तमान का इतिहास बनते हुए


सोयतकलां@ मालवा खबर।
चारों तरफ धूल ही धूल थी यहां कोई आंधी नहीं चल रही थी फिर भी ऐसा मंजर चारों ओर दिखाई दे रहा था । लाखों लोगों का अपार समूह उसे समूह में इतना जोश जुनून था कि उसे समूह का हर व्यक्ति अपने आप में एक सनातनी हिंदू वादी नेता था और
जय श्री राम.. मंदिर यहीं बनाएंगे .. एक धक्का और दो…के गगन भेदी नारो से आकाश की ऊंचाइयां भी छोटी पड़ने लग गई थी । ऐसा नजारा था उसे अयोध्या का जिसे हम राम जन्मभूमि कहते हैं…. 6 दिसंबर को वह सब हो गया जिसका वर्षों से हमको इंतजार था…. एक अतीत ..एक इतिहास …जिसे उसे दिन का वर्तमान इतिहास… होते देख रहा था ।

– 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा के समीप सोयतकलां के कार्य सेवक


इतिहास बदलने वाली यह घटना 6 दिसंबर 1992 को घटी । किसी को अंदाजा नहीं था जितने भी कर सेवक थे उन्हें सिर्फ यह बोला गया था की सरयू नदी से एक मुट्ठी रेट लाकर हमे कर सेवा करना है लेकिन देखते ही देखते कारसेवक विवादित ढांचे की ओर बढ़ गए देखते ही देखते उसे विवादित ढांचे को जमींदोज कर दिया ।
और 16वीं सदी में बनाई गई बाबरी ढांचे को जय श्री राम के उद्घोष ने डहा दिया । कार सेवकों के अपार जनसमूह समूह ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को लाचार बना दिया । बाबरी ढांचे को जब गिराया गया उसके बाद पूरे देश में 1200 लोग संपर्क सांप्रदायिक दंगों में मारे गए ।

कारसेवा की प्रवेशिका

कारसेवा का जुनून ऐसा था कि माता-पिता के मना करने के बाद भी कई युवा घर से निकल पड़े थे ..सोयतकलां क्षेत्र से 32 कारसेवक गये थे अयोध्या कारसेवक राजेश कुमरावत ने बताया कि मेरी उम्र उसे समय 21 वर्ष की थी माता-पिता के मना करने के बाद भी कारसेवा का इतना जुनून था कि अपनी पूरी मित्र मंडली के साथ निकल पड़े थे । नगर से सभी कार सेवक 30 नवंबर 1992 को कार सेवा करने के लिए अयोध्या निकल पड़े थे । राम जन्मभूमि आंदोलन 1992 से पहले एक दशक से चल रहा था उसे समय की युवा पीढ़ी में इतना उत्साह इतना जुनून था कि सोयतकलां क्षेत्र से 32 कारसेवकों का जत्था अयोध्या में बाबरी ढांचे को डहाने के लिए निकल पड़ा था ।

राजेश कुमरावत सोयतकलां ( संयोजक स्वदेशी जागरण मंच जिला आगर मालवा )

किशोर कारसेवक की कहानी, कैसे पहुंचे अयोध्या – अयोध्या कार सेवा के लिए जाने का बोला तो परिवार वालों ने घर में ताला लगाकर बंद कर दिया था सोयतकलां क्षेत्र के 32 नौजवान कार सेवकों में कई कारसेवक ऐसे थे जो अपने माता-पिता की बिना अनुमति के चोरी छिपे अपने घर से निकले थे, कारसेवक कमल किशोर वैद्य (उम्र 16 वर्ष) की कहानी भी कुछ इस प्रकार है जो अपने परिजनों के मना करने के बाद भी छोटी सी उम्र में कार सेवा में जाने के लिए लालायित था । लेकिन मन में निश्चित कर लिया था कि मैं कार सेवा के लिए जाऊंगा । लेकिन उसके माता-पिता ने 29 नवंबर को ही उसको घर में बंद करके ताला लगा दिया था । 30 नवंबर को सुबह शौच जाने के लिए बाहर निकाला और घर की छत पर चढ़कर तीन-चार मकानों की छत पर से होता हुआ जेसे तेसे बाहर निकला और भाग कर बस तक पहुंचा ओर कारसेवा के लिए निकल पड़ा। उसे समय पूरे जत्थे में में 16 साल की उम्र का सबसे छोटा कर सेवक था ।

डोंगरगांव से सोयतकलां 6 किलोमीटर साइकिल से चलकर ट्यूशन के बहाने आए और बस में बैठ गये कारसेवा के लिए डोंगरगांव निवासी नंदलाल राठौर और कमलेश गुप्ता दोनों किशोर छात्र ट्यूशन का बहाना लेकर घर से निकले और बिना कपड़े व अन्य सामान लिए बस में कार सेवा के लिए बैठ गए । दोनों युवाओं में इतना जोश जुनून था कि परिवार के मना करने के बाद भी वह कारसेवा के लिए अयोध्या के लिए निकल पड़े ।

6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा डहाते वक्त लिया गया , बाबरी ढांचा के समीप का फोटो जिसमें सोयतकलां के कारसेवक दिखाई दे रहे हैं

प्रतीकात्मक कारसेवा की सूचना से आक्रोशित हो गए थे कारसेवक

5 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद राम कथा कुंज में बनाए गए मंच से ऐसा संदेश मिला कि कल 6 दिसंबर को हम सब कार्य सेवकों को प्रतीकात्मक कार्य सेवा करना है इसके लिए हमें सरयू नदी से एक-एक मुट्ठी रेट लाकर जन्म भूमि स्थल तक लाना है । इस प्रकार का विश्व हिंदू परिषद द्वारा संदेश मिला तो कर सेवक आक्रोशित हो गए। कि हम यहां बाबरी मस्जिद बाबरी ढांचा नहाने आए प्रतीकात्मक कर सेवा करने नहीं आए । और देखते ही देखते वर्तमान इतिहास हो गया । और यह सब पूरा घटनाक्रम दो से तीन घंटे में पूरा हो गया उसे समय उत्तर प्रदेश में बीजेपी की कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे और केंद्र में कांग्रेस की नरसिंहगढ़ राव प्रधानमंत्री थे । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए कहा था ऐसा कुछ नहीं होगा लेकिन ठीक उसके विपरीत घटना घटी ।
उसे समय लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी विनय कटिहार इन नेताओं के द्वारा ओजस्वी ओजस्वी भाषण देकर कर सेवकों का उत्साह वर्धन किया जा रहा था । उसे समय भाजपा की युवा ओजस्विनी वक्त उमा भारती भी वहां पर मौजूद थी लेकिन सुरक्षाकारी में पुलिस कर्मियों को चकमा देने के लिए वह अपने बाल बनवा कर आई थी । इन सभी भक्तों के लिए जन्मभूमि के सामने राम कथा कुंज था वहां पर यह सभी वक्त अपने-अपने उद्बोधन देकर कर सेवकों का उत्साहवर्धन कर रहे थे ।

दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा डहा देने के बाद सोयत कलां पहुंचे तो उस समय नगर वासियों ने डाक बंगले पर कार सेवकों का स्वागत सम्मान किया गया था उस समय का फोटो

सोयतकलां क्षेत्र के ये 32 कारसेवक गए थे कार सेवा करने के लिए, 13 कारसेवक सोयतकलां

  • राजेश कुमरावत सोयतकलां ( संयोजक स्वदेशी जागरण मंच जिला आगर मालवा ) ,चिंतामन राठौर सोयतकलां (वर्तमान में भाजपा जिलाध्यक्ष जिला आगर) , जितेंद्र शर्मा सोयतकलां , कमल किशोर वैद्य सोयतकलां ,स्व. निर्मल तिवारी सोयतकलां , शांताराम शर्मा सोयतकलां, कालुदास बैरागी सोयतकलां ,दिलीप राव पायलट सोयतकलां ,गोपाल सोनी सोयतकलां ,सतीश भावसार सोयतकलां अशोक जैन सोयतकलां ,कमल व्यास सोयतकलां , स्व . डूंगरगिरी महाराज सोयतकलां
  • कमलेश गुप्ता डोंगरगांव ,भरत शर्मा डोंगरगांव ,पवन शर्मा डोंगरगांव , रूपचंद शर्मा डोंगरगांव,नंदलाल राठौर डोंगरगांव,
  • राधेश्याम शर्मा साल्याखेड़ी , रमेश टेलर साल्याखेड़ी, बाबूलाल साल्याखेड़ी , द्वाराकीलाल पाटीदार साल्याखेड़ी , रमेश चंद्र रावत साल्याखेड़ी
  • बाबूलाल दांगी (सरपंच संघ प्रदेश अध्यक्ष ) कल्याणपुरा, रामदयाल चौहान कल्याणपुरा
  • कैलाश चंद वाशरमेन अमरकोट कालू सिंह चौहान , स्व. कन्हैयालाल कुमावत अमरकोट
  • सुरेश चंद्र पाटीदार देहरिया
  • स्व. राधेश्याम शर्मा निशानियां
  • राधेश्याम वर्मा बिजनाखेडी

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Author: malwakhabar

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