मालवा ख़बर@ राकेश बिकुन्दिया, सोयतकला।
सामाजिक एकता विपरीत परिस्थिति में भी एक दूसरे को मदद करने के लिए प्रेरित करती है। एकजुट रहना, मजबूत रिश्ते और मजबूत समाज के निर्माण में एकता का विशेष महत्व है। वसुदेव कुटुंबकम की भावना के साथ जन्म से लेकर मृत्यु तक सबको साथ में लेकर चलने वाले विभिन्नता से परिपूर्ण हमारे देश के लिए सामाजिक एकता महत्वपूर्ण अंग है। सामाजिक एकता का अर्थ है जाति, धर्म, वर्ण से ऊपर उठकर एक साथ रहना एक साथ सामाजिक कार्यक्रम करना इस प्रकार का उदाहरण हमें मंगलवार को सोयतकलां नगर के श्मशान घाट में देखने को मिला। जहां पर एक ही श्मशान में, एक ही जगह, एक ही समय पर हिंदू समाज के 4 प्रमूख समाज के लोगों द्वारा अस्थि संचय (तीसरा) कार्यक्रम करके समरसता की एक अनूठी मिसाल कायम की गई। ऐसा अद्भुत संयोग शायद हमें कभी-कभार देखने को और सुनने को मिलता है, ऐसा नियती (प्रकृति) ने भी सामाजिक समरसता का संदेश दिया।
ऐसे दिया सामाजिक समरसता का संदेश ::
सोयतकलां नगर के मदनलाल जी शर्मा, जोधसिंह जी राजपूत, श्रीनाथ जी गुप्ता (वेश्य) और रणजीत जी मेघवाल चारों का स्वर्गवास 14 और 15 जनवरी को हो गया था। चारों का अस्थि संचय ( तीसरा) कार्यक्रम मंगलवार 16 जनवरी को एक साथ, एक ही श्मशान में, एक ही समय पर संपन्न हुआ। हिंदू समाज के चारों प्रमुख वर्गों ने एक साथ बैठकर समरसता की जो मिसाल कायम की है, उसकी चर्चा चारों और हो रही है।
भेदभाव को बढ़ावा देने वालों के लिए प्रेरणा :
ये उन गांवों के लिए प्रेरणा की बात है जहां अभी भी कुछ लोग भेदभाव को बढ़ावा देते हैं। एक ही श्मशान में, एक ही जगह, एक ही समय पर हिंदू समाज के 4 प्रमूख समाज के लोगों द्वारा अस्थि संचय (तीसरा) कार्यक्रम करके समरसता की एक अनूठी मिसाल कायम की गई। यदि देश के लोगों के अंदर इसी प्रकार एकता भावना जागृत होगी तभी हम आने वाली हर समस्याओं को सभी मिलजुलकर समाधान कर सकते हैं। जहां इस प्रकार की व्यवस्था है वह जाति एवं देश की उन्नति सुनिश्चित है। हमारे देश में सामाजिक एकता और समरसता की स्थापना के लिए प्राचीन काल से विभिन्न संस्कृति, परंपरा प्रचलित होती आयी है।