सुसनेर के सिविल अस्पताल में 22 जनवरी में आठ महिलाओं ने लड़को को दिया जन्म
सुसनेर। सदियों के इंतज़ार के बाद अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा वाला 22 जनवरी का दिन सन्तान को जन्म देने वाली माताओं के लिए भी यादगार बन गया है। अयोध्या में राघव की प्राण प्रतिष्ठा के साथ क्षेत्र के आठ परिवारों में भी राघव की किलकलरिया सुनाई दी। जिससे इन परिवारों की खुशियां दो गुनी हो गई है। अयोध्या के साथ ही इन परिवारों में भी दीपावली जैसा माहौल हो गया। परिजनों और रिश्तेदारों द्वारा इनको भी बधाइयां मिल रही है। सुसनेर के शासकीय सिविल अस्पताल में सोमवार को आठ महिलाओं ने संतान को जन्म दिया। खास बात यह रही कि इनकी कोख से राघव ने जन्म लिया है। यानी कि इन सभी महिलाओं ने सन्तान के रूप में लड़के को जन्म दिया है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त में संतान होने से ये महिलाएं खुद ओर बच्चे को भाग्यशाली मान रही है। इनमें से कुछ महिलाओं को पहली संतान को जन्म दिया है। महिलाओ का कहना है कि हमारे घर भी राम आए है। महिलाएं इन बच्चों के नाम भी राघव, राघवेंद्र, रघुनंदन व राम जैसे नाम रखने की बात कह रही है। सिविल अस्पताल के प्रसुति वार्ड की इंचार्ज साहिबा कौसर ने बताया कि सोमवार को बढ़िया का खेड़ा की फिलबिता पति मानसिंह, खेरिया की सपना पति कन्हैयालाल, आमलावता की पायल पति धर्मेंद्र, मगीसपुर की सीमा पति गोपाल सेन, ढाबली की कृष्णा पति राधेश्याम, पालदेवरी की ममता पति भगवान, सुसनेर की मन्जो पति समीर, नांदना की अनिता पति शिवनारायण ने लड़के को जन्म दिया है।
सीमाबाई ने रामलला की प्रतिष्ठा के मुहूर्त में दिया जन्म
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सुबह 11 बजे से 1 बजे के बीच शुभमुहूर्त में वैदिक मंत्रों के साथ की गई। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त के बीच मगीसपुर की सीमाबाई पति गोपाल सेन ने 12 बजकर 39 मिनट पर अपनी पहली सन्तान के रूप में लड़के को जन्म दिया। इसके अतिरिक्त पायल व ममता ने भी पहली ही सन्तान को जन्म दिया। प्राण प्रतिष्ठा के दिन जन्म होने से यह दिन इन बच्चों के साथ पूरे परिवार के लिए यादगार हो गया।