उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में आज रविवार की देर शाम सबसे पहले होलिका दहन किया गया। इस दौरान पंडित और पुरोहित परिवार के सदस्यों के साथ हजारों भक्तों ने होलिका की परिक्रमा लगाकर परंपरा निभाई और होलिका दहन किया। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे थे। देशभर में सबसे पहले होलिका दहन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में होता है। यहां होलिका दहन के साथ ही पूरे देश में पर्व की शुरुआत हुई।
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित प्रदीप गुरु ने बताया कि आज सांध्य आरती के पहले बाबा महाकाल का विशेष रूप से श्रृंगार किया गया। इसके बाद संध्या कालीन आरती में फूल और गुलाल की होली मनाई गई। इस आरती के समापन के बाद मंदिर परिसर में होलिका दहन हुआ। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। सबसे पहले भगवान महाकाल के आंगन में होलिका दहन होता है। इसके बाद देशभर में पर्व मनाया जाता है।आज मंदिर में हुए होलिका दहन को देखने और पूजा अर्चना करने के लिए यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के उद्घोष के साथ होलिका दहन का नजारा देखा। पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन को लेकर किसी प्रकार का मुहूर्त नहीं देखा जाता है। यहां पर निर्धारित समय पर होलिका दहन किया जाता है। आज भी पंडित और पुरोहित परिवार की ओर से महाकाल के आंगन में विशेष पूजा अर्चना की गई जिसके बाद होलिका का दहन किया गया।
भक्तों ने भगवान को चढ़ाया गुलाल
महाकालेश्वर मंदिर में गुलाल आरती के बाद होलिका दहन किया गया। इसके बाद भगवान महाकाल को गुलाल उड़ाने के लिए शिवभक्त पहुंचे। महाकालेश्वर मंदिर पहुंची आरती खरे ने बताया कि राजाधिराज भगवान महाकाल के आंगन में होली पर्व हमेशा याद रहता है। भगवान को चंदन और गुलाल अर्पित करने का अवसर होली पर्व पर मिलता है। शिव भक्तों को इस पल का वर्ष भर इंतजार रहता है। भस्म आरती में भी खेली जाएगी होली
महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन के बाद अगले दिन होने वाली भस्मारती में भी रंग और गुलाल उड़ाया जाता है। भगवान महाकाल के रंग में रंगने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। इस दौरान भगवान महाकाल का श्रृंगार भी अद्भुत होता है। भगवान को विशेष रूप से चंदन और गुलाल से सजाया जाता है।