मालवा खबर @ ब्यूरो रिपोर्ट….सुसनेर। विभिन्न त्यौहारो की कडी में एक त्यौहार होता है गणगौर पर्व। आस्था- प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बडा यह उत्सव इन दिनो चल रहा है। इसी के साथ ही घरो में गणगौर के गीत गुजंने लगे है। इस पर्व के 16 वें दिन चैत्र नवरात्र की तृतीया को तीज पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाएगा है। इसके बाद गणगौर को विदाई दी जाएगी है। नगर में सर्व समाज की महिलाओं के द्वारा गणगौर की घरो में पूजा की जा रही है। प्रतिदिन महिलाओ के द्वारा ज्योतिषाचार्य पंडित बालाराम व्यास के अनुसार शुक्ल पक्ष की तीज को पार्वती के अवतार के रूप में गणगौर माता व भगवान शंकर के अवतार के रूप में ईशर जी की पूजा की जाती है। गणगौर की पूजा में गाये जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की आत्मा हैं। देश के कई प्रदेशों में गणगौर पूजन एक आवश्यक वैवाहिक रस्म के रुप में भी प्रचलित है। इस गणगौर पूजन में कन्यायें और महिलायें अपने लिए अखंड सौभाग्य ,अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि तथा गणगौर से हर वर्ष फिर से आने का आग्रह करती हैं।
अच्छे वर की कामना के लिए कुंवारी कन्याएं करती है पूजन
प्राचीन समय में पार्वतीजी ने शंकर भगवान को पती ( वर) रूप में पाने के लिए व्रत और तपस्या की शंकर भगवान तपस्या से प्रसन्न हो गए और वरदान माँगने के लिए कहा की पार्वती ने उन्हें वर के रूप में पाने की इच्छा जाहिर की पार्वती की मनोकामना पूरी हुई और उनसे शादी हो गयी। बस उसी दिन से कुंवारी कन्याएं मन इच्छित वर पाने के लिए ईशर और गणगौर की पूजा करती है। सुहागिन स्त्री पती की लम्बी आयु के लिए पूजा करती है।
16 दिनो तक चलता है पर्व
गणगौर की पूजा का यह पर्व होलिका दहन के दुसरे दिन से आरम्भ होकर सोलह दिन तक चलता है। प्रतिदिन सुबह जल्दी उठ कर महिलाएं एवं स्त्रीयां बाड़ी बगीचे में जाती है दूब व फूल लेकर आती है। दूब लेकर घर आती है उस दूब से दूध के छींटे मिट्टी की बनी हुई गणगौर माता को देती है। थाली में दही पानी सुपारी और चांदी का छल्ला आदी सामग्री से गणगौर माता की पूजा की जाती है। इस पूजा में 16 अंको का विशेष महत्व है। काजल, रोली, मेंहदी से 16- 16 बिंदीया गणगौर के गीत गाते हुएं लगाते है। गणगौर के चढने वाले प्रसाद और फल व सुहाग सामग्री भी 16 के अंक में चढाई जाती है। वही पूजा भी 16 दिनो तक की जाती है।
मातृशक्ति ने श्री राम मंदिर धर्मशाला से मनकामनेश्वर महादेव मंदिर तक निकाला गणगौर का चल समारोह
शहर में चल रहे 16 दिवसीय गणगोर पर्व के चलते आज शहर की मातृशक्ति के द्वारा श्री राम मंदिर धर्मशाला से श्री मनकामनेश्वर महादेव मंदिर तक गणगोर का चल समारोह निकाला गया। जिसमें ढोल की थाप पर महिलाओं ने नृत्य भी किया। श्री राम मंदिर धर्मशाला में ईशर जी और पार्वती जी की विशेष पूजा अर्चना कर सुख सम्रद्धि की कामना भी की गई। इस चल समारोह में दूल्हा दुल्हन के रूप में छोटे छोटे बच्चों को सजाया गया जो आकर्षण का केंद्र बने रहे। गणगोर के इस चल समारोह में सर्व समाज की महिलाएं मोजूद रही।