सालरिया गो अभायरण्य में चल रहा है 1 वर्षीय गो आराधना महा महोत्सव
सुसनेर। जनपद पंचायत सुसनेर के निकट एशिया के प्रथम गो अभयारण्य श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु आमजन में गो सेवा की भावना जागृत करने के लिए 09 अप्रेल 2024 से चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 18वें दिवस पर गोकथा में पधारे श्रोताओं को संबोधित करते हुए ग्वाल सन्त स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने मानव बनने के लिए आवश्यक नो माताओं में से सातवीं माता के रूप में बताते हुए कहां कि मानव जीवन में एक महात्मा की आवश्यकता है। महात्मा मानव के भटकाव को दूर करता है ।यूं तो सभी महात्मा पूजनीय है लेकिन जीवन में एक महात्मा से विशेष नाता रखना चाहिए वह तत्त्व है गुरु। गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है:- गुरु बिन भवनिधि तरई न कोई,जो बिरंची शंकर सम होई। अर्थात भले ही कोई ब्रह्माजी और शंकर जी के समान क्यों न हो किन्तु बिना गुरु के भवसागर से नहीं तर सकता है।
स्वामी जी ने बताया कि गुरु एक चेतना है जो अनादिकाल से मिलती आ रही है । गुरु दीक्षा लेना सरल है लेकिन गुरु को जीवन में उतारना बहुत कठिन है । गुरु सुख नहीं आनन्द की अनुभूति करवाते है क्योंकि सुख तो किसी से भी मिल सकता है लेकिन आनन्द केवल सद्गुरु के माध्यम से ही मिलता है । गुरु भगवान के नाम का नशा करवाते है जो कभी नहीं उतरता जैसे मीरां बाईं का भगवान माधव के नाम का नशा चढ़ गया था उसी नशे के कारण तो मीरां ने अपना राज पाठ सबकुछ त्याग कर स्वयं माधव में समा गई थी।
स्वामी जी ने गुरु के बारे में बताया कि गुरु उस ओषधि के समान है जो अति होने पर रिएक्शन भी कर देती है जिसका ब्रह्मपुराण के पूर्व भाग के 107वें अध्याय के 16वें अध्याय ने लिखा है कि*अगर किसी कारण से गुरु को व्यथित होकर शिष्य के सामने झुकना पड़े तो उस शिष्य की आयु,,विद्या,कीर्ति,धर्म सबका नाश हो जाता है ,इसलिए गुरु कैसे भी हो उनका कभी शिष्य द्वारा अनादर न हो ।इसलिए जो व्यक्ति आत्मिक भाव से गाेसेवा करता है तो उसे भगवती गोमाता श्रेष्ठ गुरु उपलब्ध करवा देती है। यानि गुरु को अंदर धारण करना है, तो गो सेवा जरूरी है।
18 वें दिवस पर चूनड़ी यात्रा लालसिंह जी सालरिया के परिवार की ओर से :-
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 18वें दिवस पर सालरिया ग्राम निवासी श्री लालसिंह जी जो अभयारण्य स्थापना से पूर्व इस परिसर में श्री मेघराज जैन निवर्तमान अध्यक्ष गो संवर्धन बोर्ड के मार्गदर्शन में एक गोशाला रूपी वट वृष की स्थापना की थी जो आज एक विशाल वट वृक्ष के रूप में एशिया ही नहीं सम्पूर्ण विश्व का प्रथम गो अभयारण्य के रूप में स्थापित हो चुका है , लाल सिंह के पुत्र कालू सिंह ,श्याम सिंह, बने सिंह एवं भानेज गुमान सिंह ने परिवार के साथ विशाल चुनरी यात्रा लेकर अभयारण्य पहुंचे और कथा मंच पर पहुंच कर गोमाता को चुनरी ओढ़ाकर गोमाता का पूजन एवं आरती की और अंत में सभी ने यज्ञशाला की परिक्रमा कर गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।