सालरिया गो अभ्यारण में चल रहा एक वर्षीय गो आराधना महोत्सव
मालवा खबर @ सुसनेर। एशिया के प्रथम कामधेनु गो अभ्यारण्य सालरिया में चल रहे 1 वषीय वेदलक्षणा गो आराधना महोत्सव में आज शनिवार को स्वामी गोपालानंद सरस्सवती ने कहां की शरीर का मेल तो साबुन से साफ़ हो जाता है लेकिन आत्मा का मेल भगवती गोमाता की सेवा से ही दूर हो पाएगा क्योंकि इस संसार ने सबसे पवित्र गोमाता ही है जो जीवन में पवित्रता भर देती है और पवित्र गो का संग करते करते सभी गोपियां गोविंद बन गई थी। इसलिए लिए तो कहां है जड़ देह से छूटे बिना प्रभु प्राप्त नहीं होते है अर्थात जब तक देह भाव प्रगट नहीं होगा तब तक देव भाव प्रगट नहीं होगा।
उन्होने कहां की मानव बनने के लिए आवश्यक नो माताओं में से आठवीं माता के बारे में सप्त मात अष्टम प्रगटावें ,आत्मा की संज्ञा वो पावे पद्य के माध्यम से बताया कि हमारी अष्टम माता हमारी आत्मा ही है यानि आत्मा में भी मां शब्द छीपा है। यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मती है और न ही मरती है तथा न ही यह उत्पन्न होकर फिर पैदा होने वाली है क्योंकि यह अजन्मा,नित्य,सनातन और पुरातन है यानि शरीर के मारे जाने पर भी यह नही मरती है।
स्वामी जी ने बताया कि जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर,दूसरे नए वस्त्र को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होती है। उन्होने कहां कि जब हम मन्दिर के गर्भगृह में भगवान के दर्शन करते है तो हमारी आंखें स्वतः ही बन्द हो जाती है क्योंकि उस समय हमारी आत्मा ही हमें संकेत देती है कि हाड़ मांस से बनी आंखों से तो केवल पत्थर या धातु की मूर्ति ही दिखाई देगी लेकिन अपनी आत्मा रूपी चक्षु से भगवान को देखेंगे तो साक्षात ईश्वर के दर्शन होंगे।
19 वें दिवस पर चूनड़ी यात्रा पिडावा तहसील के रामपुरिया ग्राम की ओर से :-
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 19 वें दिवस पर राजस्थान की पिड़ावा तहसील के ग्राम रामपुरिया से महेश शर्मा, औंकार लाल, अर्जुन सिंह पूर्व सरपंच, शंकर सिंह,बालू सिंह,बालू सिंह चौहान,सत्यनारायण शर्मा, मदन सिंह, तुफान सिंह, लखनसिंह, राहुल सिंह, बालू सिंह, श्याम सेन सहित सभी समाजों के प्रमुख एवं माता बहिनें विशाल चुनरी यात्रा एवं गो माता के लिए छपन्न भोग की सामग्री लेकर अभयारण्य पहुंचे और कथा मंच पर पहुंच कर सभी ने गोमाता को चुनरी ओढ़ाकर गोमाता का पूजन एवं आरती की और अंत में सभी ने यज्ञशाला की परिक्रमा कर गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।