राकेश बिकुन्दिया, सुसनेर। आए दिन किसी न किसी तथाकथित मामले को लेकर सुर्खियां बटोरने वाली नगर परिषद एक फिर से सवालों के घेरे में है, यहा कार्य करने वाले कुछ कर्मचारी तो ऐसे है जिनको कार्य करते- करते 20 साल से भी अधिक का समय हो चुका है लेकिन किसी वरिष्ठ अधिकारी ने इनका स्थानातरण करने की जद्दोजहद नही की। सालों से अंगद के पैर की जगह जमे ये अधिकारी आज भी बेख़ौफ होकर नप में भृष्टाचार के अलावा कई असंवैधानिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे है। नगर परिषद के वर्तमान लेखापाल पर फर्जी भुगतान को लेकर कई बार गम्भीर आरोप भी लग चुके है, लेकिन फिर भी उन पर वरिष्ठ अधिकारियों ने आज तक कोई कार्रवाई नही की। यही कारण है कि आज भी नगर परिषद में भृष्टाचार के मामले आये दिन सामने आ रहे है। कभी कभी इनका पद चेंज जरूर करते हुए स्टोर शाखा प्रभारी तो कभी लेखपाल या कभी कोई और जिम्मेदारी तो इन्हें सोपी गई किंतु इनके तथाकथित कारनामो के चलते अधिकारीयो ने इनका कभी भी इनका ट्रांसफर सुसनेर से अन्यत्र स्थान पर नही किया। यही कारण है कि वर्तमान में नगर के अधिकांश दुकानदार नगर परिषद के नाम पर किसी भी प्रकार का कोई सामान देने को भी तैयार नही है, उनका कहना है कि यदि सामना दे दिया तो जिम्मेदार कभी बिल ही पास नही करते है उल्टे दुकानदारी छोड़कर नप के चक्कर लगाने पड़ते है
भृष्टाचार इतना कि सफाई कर्मचारियों को समय पर नही मिलता वेतन
नगर परिषद में विभिन्न मामले में भृष्टाचार इतना है कि हर महीने सफाई कर्मचारियों को मासिक वेतन का भुगतान समय पर नही मिल पाता है। महीने भर में एकत्रित होने पर विभिन्न प्रकार की टेक्स की राशि व अन्य मदो की राशि से नगर परिषद के अधिकारी ठेकेदारों व राजनेताओं के दवाब में फर्जी बिलो का भुगतान कर देते है, उसके बाद जिम्मेदार हाथ खड़े कर देते है कि परिषद के पास राशि नही बची है। इस वजह से सफाई कर्मचारियों को वेतन नही मिल पाता है और ऐसे में उन्हें अपनी ग्रहस्ति चलाने में आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है। कई बार सफाई कर्मचारी वेतन को लेकर आंदोलन भी कर चुके है। सफाई कर्मचारियों का कहना है कि हमे समय पर वेतन नही मिल पाता इसलिए हम बाजार की उधारी भी समय पर नही चुका पाते है, और इसी वजह से दुकानदार अब हमें उधारी में सामान देने से भी इनकार कर रहे है।
