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November 15, 2024 2:36 am

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सुसनेर: 50 किमी की परिधि में एक मात्र पंचमुखी हनुमान मंदिर, इनकी पूजा करने से हर संकट होता है दूर

राकेश बिकुन्दिया, सुसनेर। भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी मनुष्य के जीवन में कष्टो को हरने वाले देवता माने जाते है। हर युग में उन्है किसी न किसी अवतार में देखा गया है। उनके कई मंदिर हमारे क्षेत्र में स्थित है, लेकिन सुसनेर विकासखंड में हनुमान जी का एक मात्र मंदिर ऐसा भी है जहां अंजनीपुत्र अपने पांच मुखो के साथ विराजमान है। पंचमुखी हनुमानजी के नाम से कई पौराणिक ग्रंथो में वर्णन मिलता है। ऐसा कहा जाता है की इनके पूजा करने से हर संकट दूर हो जाता है। यही कारण है की आमला से लेकर मध्यप्रदेश राजस्थान की सीमा पर 50 किलोमीटर की परिधि में एक यह एक मात्र पंचमुखी बालाजी का मंदिर सुसनेर की पुलिस कॉलोनी में स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की मूर्ति या तस्वीर घर में रखने और उनका पूजन करने से साधक के घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में सभी मुख अलग-अलग दिशाओं में हैं जिनका अपना महत्व है।

हनुमानजी ने इसलिए लिया था पंचमुखी अवतार

हनुमान जी का पंचमुखी अवतार रामायण के प्रसंग के अनुरूप, लंका युद्ध के समय जब रावण के भाई अहिरावण ने अपनी मायवी शक्ति से स्वयं भगवान श्री राम और लक्ष्मण को मूर्क्षित कर पाताल लोक लेकर चला गया था। जहां अहिरावण ने पांच दिशाओं में पांच दिए जला रखे थे। उसे वरदान था कि जब तक कोई इन पांचों दीपक को एक साथ नहीं बुझाएगा, तब तक अहिरावण का वध नहीं होगा। अहिरावण की इसी माया को सामाप्त करने के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपक को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया।

हर मुख का है अपना एक खास महत्व

वानर मुख – पंचमुखी अवतार में हनुमान जी का पूर्व दिशा की ओर हनुमान जो मुख है उसे वानर मुख कहा जाता है। माना जाता है वानर मुख दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है।

गरुड़ मुख – हनुमान जी का पश्चिम दिशा वाला गरुड़ मुख कहलाता है। मान्यताओं के अनुसार यह मुख जीवन की रुकावटों और परेशानियों को खत्म करने का काम करता है।

वराह मुख्य – हनुमान जी का पंचमुखी अवतार में उत्तर दिशा का मुख वराह मुख्य कहलाता है। माना जाता है कि हनुमान जी के इस मुख की आराधना करने से लंबी आयु, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।

नृसिंह मुख – हनुमान जी का दक्षिण दिशा में स्थित मुख नृसिंह मुख कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नृसिंह मुख जीवन में आ रहे तनाव और मुश्किलों को दूर करता है।

अश्व मुख – हनुमान जी का पांचवा मुख आकाश की ओर है, जिसे अश्व मुख भी कहा जाता है। यह मुख मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है।

malwakhabar
Author: malwakhabar

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