Search
Close this search box.

December 12, 2024 5:33 pm

Search
Close this search box.

सुसनेर: खेत में फिर से बैलों की हो रही वापसी, अब जुताई नहीं निराई और बुवाई का हो रहा कार्य

आधुनिक युग में भी पारम्पारिक खेती पर जोर दे रहे किसान

सुसनेर। भारतीय कृषि में खेतों से गायब हो चुके बैलो की वापस अब खेतों में वापसी हो रही है। पर इस बार बैलों से जुताई के कार्य के बदले उनसे निराई और बुवाई का कार्य लिया जा रहा है। आधुनिक युग में भी आज भी कई किसान ऐसे है जो पारम्पारिक और जैविक खेती पर जोर दे रहे है। साथ ही अन्य किसानो को भी इसके प्रति जागरूक कर रहे है। भारतीय कृषि ने तकनीक के बदलाव के साथ ही कई दौर देखे हैं। क्योंकि एक वक्त था जब खेती किसानी में बैल का सबसे अधिक इस्तेमाल होता था, फिर धीरे-धीरे ट्रैक्टर का इस्तेमाल बढ़ता गया है और बैल के साथ बैलगाड़ी भी धीरे-धीरे प्रचलन से हटते गए। पर एक बार फिर से तकनीक के इजाद के साथ अब खेतो में बैल दिखाई देने लगे हैं। समीपस्थ ग्राम नांदना, कायरा, बढिया, माणा, मोडी, पायली, अंतरालिया, धारूखेडी, कजलास, पालडा, पटपडा, मानलनवासा सहित ग्रामो में हो रहा है। नांदना के किसान रामचन्द्र ने बोवनी बेलो के माध्मय से ही की है। और इन्ही के सहारे वे अपनी पूरी फसल को तैयार करेगे।  

ट्रैक्टर के इस्तेमाल के कारण घटी बैलों की संख्या

किसान बताते है की 1961 में 90 फीसदी बैल थे। जिससे 71 फीसदी खेत का काम होता था। 1991 तक यह संख्या घटकर 23.3 प्रतिशत रह गई। बैलो का इस्तेमाल कम होने के कारण उनकी आबादी में गिरावट आयी। दरअसल मशीनीकरण के बाद, ट्रैक्टरों को सब्सिडी दी गई और सरकारों ने मशीनों को बढ़ावा दिया। इसके कारण ट्रैक्टर फर्म किसानों के दरवाजे तक पहुंच गई हैं। जबकि मशीनीकरण ने बड़े किसानों को लाभान्वित किया है, जो देश की किसान आबादी का 15 प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन 75 प्रतिशत कृषि भूमि के मालिक हैं, यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए अनुपलब्ध है, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है।

malwakhabar
Author: malwakhabar

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

error: Content is protected !!