सुसनेर। 4600 करोड के कुंडालिया बांध के भु-अर्जन और अन्य मुआवजा प्रकरणो में हुई घोटालेबाजी की लोकायुक्त के द्वारा वर्ष 2016 से जांच की जा रही है। लोकायुक्त जांच के दायरे में 3 कलेक्टर, 4 डिप्टी कलेक्टर और 3 तहसीलदार समेत पटवारीयो के अलावा, जल संसाधन विभाग के कई अधिकारी शामिल है। इनमें से कुछ तो रिटायर्ड भी हो चुके है। तो कुछ का स्थानांतरण अन्य जिलों में भी हो चुका है। लेकिन इनके कारनामे अब उजागर हो रहे है। लोकायुक्त जांच दल इस मामले में 60 से भी अधिक लोगो और अधिकारीयो के कथन दर्ज कर चुका है। मामले में लोकायुक्त को सबसे महत्वपूर्ण कडी के तौर पर 4 दलाल मिले है। इनमें से अधिकांश ने अपने बयान दर्ज भी कराए है। बयान दर्ज कराने वालो ने अन्य कर्मचारीयों के नाम भी खोले है। उनसे से भी पुछताछ हो रही है। आगर जिलें के जिला कोषालय से भी लोकायुक्त ने 2016 से 2024 के बीच कुंडालिया बांध में मुआवजे के नाम पर कितनी राशि किस को दी गई है। इसकी जानकारी भी हासिल की है। सूत्रो के अनुसार अभी तक की जांच में कई चोकाने वाले खुलासे हुएं है। इन खुलासो में 1 जनप्रतिनिधि तथा कुछ मीडियाकर्मियो के भी नाम बयानो में सामने आए है। अब इनकी पुष्टी की जा रही है। तो दूसरी और इस पूरे मामले को दबाने में प्रशासनिक लाबी पूरी तरह से सक्रीय हो गई है। नलखेडा के ही एक आरटीआई एक्टिविस्ट के द्वारा मुआवजा सम्बधित प्रकरणो के बारे में सुचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी। जिस पर जिला प्रशासन ने जानकारी देने से मना कर दिया है। जानकारी मांगने वाले को भेजे गए जवाब में जिला प्रशासन ने कहां की अत एवं कार्यालयीन प्राप्त जानकारी के अनुक्रम में ग्राम भंडावद के पुर्नवास पैकेज योजना में मुआवजा संबंधी प्रकरण की जांच लोकायुक्त में प्रचलित होने से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(ज) के अनुसार अन्वेषण या अभियोजन की क्रिया में अड़चन संभावित होने के कराण वांछित जानकारी नहीं दी जा सकती है। इससे स्पष्ट है की जिला प्रशासन ने भी स्वीकार किया है की कुंडालिया बांध के मुआवजा सम्बंधि प्रकरणो की जांच लोकायुक्त के द्वारा की जा रही है।
जिला कलेक्टर ने जारी किए थे एफआईआर के निर्देश
कुंडालिया बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले ग्राम भंडावद और आसपास के 3 गांव में नाबालिगो को बालिग बनाकर उनके मतदाता परिचय पत्र और आधारकार्ड की जन्मतिथियों में हैराफेरी करके करोडो का मुआवजा हासिल करने के मामले की जिला कलेक्टर के द्वारा जांच कराए जाने तथा जांच में करीब 5 करोड का घोटाला उजागर होने के बाद एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये थे। किन्तु जिला कलेक्टर के निर्देशो को एक माह से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद भी पुलिस ने उन्है रद्दी की टोकरी में फेंक रखा है। तथा मामले की जांच की जा रही है। यह कहकर प्रमाणित घोटाले का दबाने का प्रयास हो रहा है।
जांच अभी जारी है-
कुंडालिया बांध परियोजना में मुआवजा वितरण की गडबडियो और घौटाले की जांच की जा रही है। 2016 से 2024 के बीच के मामलो की जांच हो रही है। इसलिए जांच में समय लग सकता है। जांच दल ने कई लोगो के बयान भी दर्ज किये है। आगर जिला कलेक्टर ने मुआवजा सम्बंधित घोटाले में क्या आदेश दिये है। इससे लोकायुक्त का कोई लेना-देना नहीं है।
राजेश पाठक, डीएसपी, लोकायुक्त एवं जांच अधिकारी, उज्जैन।