–ठेका प्रथा बंद होने के बाद आखिर किसकी जेब में जा रहीबाजार बैठक के रूप में वसूली जाने वाली राशि
राकेश बिकुन्दीया, सुसनेर। शहर के प्रमुख बाजार में सड़को पर लगने वाली अस्थाई दुकानों से नगर परिषद द्वारा बाजार बैठक के रूप में बिना कोई रसीद दिये शुल्क की वसूली की जा रही है। जब ठैका प्रथा संचालित होती थी तब बकायदा ठेकेदार के द्वारा दुकानदारों से ली जाने वाली शुल्क की पर्ची प्रदान की जाती थी जिस पर दिनांक व अन्य जानकारी दर्ज होती थी। लेकिन करीब 1 साल से ठैका प्रथा बंद होने के बाद से नगर परिषद अपने स्तर से राशि की वसूली कर रही है। लेकिन बदले में दुकानदारों को दी जाने वाली रसीदे नहीं दी जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है की बाजार बैठक के रूप में प्रत्येक दुकानदार से वसूली जाने वाली 10 रूपये शुल्क की राशि आखिरकार किसकी जेब में जा रही है। सूत्रो की माने तो इसमे लाखो रूपये का गडबडझाला सामने आ सकता है यदि जिम्मैदार अधिकारी इस मामले की बारिकी से जांच करे तो।
आपको बता दे की 15 जून 2023 बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग मध्यप्रदेश शासन के उप सचिव आर के कार्तिकेय ने आदेश जारी करते हुएं सभी नगर निगम आयुक्त, नगर पालिका और नगर परिषदों में ठैकेदारो के माध्यम से की जाने वाली बाजार बैठक वसूली पर प्रतिबंध लगा दिया था और वसूली शुल्क वाले ठेको को निरस्त कर दिया गया था। लेकिन उसके बाद नगर में सड़को पर बैठकर या हाथ ठेले पर व्यवसाय संचालित करने वाले करीब 400 के लगभग दुकानदारो से नगर परिषद राशि की वसूली कर रही है।
नगर परिषद ने पास नहीं किया प्रस्ताव, फिर भी वसूल रही राशि
नगरीय विकास एवं आवास विभाग से जारी किए इस आदेश में बताया गया था की नगर परिषद अपने स्तर पर विशेष सम्मेलन आयोजित कर इसको लेकर प्रस्ताव पारित कर सभी पार्षदो व नगर परिषद के जिम्मैदारो की मंजूरी होने पर बाजार बैठक शुल्क की वसूली अर्द्धवार्षिक या वार्षिक रूप में कर सकती है। लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है की नगर परिषद ने इस सम्बंध में कोई प्रस्ताव ही पारित नहीं किया लेकिन उसके बाद भी बाजार बैठक के रूप में दुकानदारो से राशि की वसूली की जा रही है। इस राशि का परिषद क्या उपयोग करती है इसको लेकर भी कोई जवाब जिम्मेदार नहीं दे पाए।
दुकानदार बोले नप के कर्मचारी नहीं देते है रसीद
नगर की सड़क पर हाथ ठेला लगाकर के व्यवसाय करने वाले दुकानदार कन्हैयालाल, पर्वतसिंह, राकेश जादमें समेत कई अन्य दुकानदारों ने बताया की नगर परिषद के द्वारा सालो से हमसे 10 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क की वसूली की जाती है। लेकिन अधिकांश बार जो कर्मचारी राशि की वसूली करने आते है वे पर्ची ही नहीं देते है। बीते कुछ सालों में राशि वसूलने वाले परिषद के कर्मचारीयो में भी समय-समय पर बदलाव होता अाया है। ऐसे में नए कर्मचारी को यह जिम्मैदारी सोप दिये जाने के बाद भी कई बार पुराने कर्मचारी ही इन दुकानदारो से राशि की वसूली करके चले जाते है।
इस प्रकार के दुकानदारो से वसूली जाती है राशि
सड़क पर बैठकर व्यवसाय करने वाले फूटकर व्यापारी, हाथ ठेला संचालक, तहबाजारी, रेहडी वाले या जो 4 पहीया वाहनो पर अपना सामान बेचने का कार्य करते है उनसे बाजार बेठक के रूप में राशि की वसूली की जाती है।
इनका कहना-
बाजार बैठक शुल्क की वसूली को लेकर शासन के द्वारा जारी किये गए आदेश के अनुसार परिषद को वार्षिक व अर्द्धवार्षिक रूप से दुकानदारों से राशि की वसूली की जाना थी लेकिन शहर के दुकानदार वार्षिक व अर्द्धवार्षिक रूप में शुल्क नहीं दे पाते है इसलिए उनसे प्रतिदिन राशि की वसूली की जाती है। कर्मचारी यदि दुकानदारों को टैक्स वसूली की पर्ची नही दे रहा है तो जांच करवाई जाकर के उचित कार्रवाई की जाएगी।
ओ पी नागर
सीएमओ, नगर परिषद, सुसनेर।