राकेश बिकुन्दीया, सुसनेर। जिला प्रशासन व जिले के परिवहन विभाग व शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते सीएम राइस स्कूल की बसों में प्राइवेट स्कूल के बच्चों को बैठाए जाने का मामला संज्ञान में आने के बाद भी कार्रवाई नही होना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। आपको बता दे कि 6 नवम्बर को सीएम राइस स्कूल की बसों में प्राइवेट स्कूल के बच्चों को बैठाए जाने का यह मामला मीडिया की सुर्खियां भी बना था। इसको लेकर आगर जिला कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने भी जांच कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था उसके बाद भी आगर जिले के सभी ब्लाकों में सीएम राइज स्कूल की बसों का संचालन करने वाली ठेका कम्पनी न तो सक्रिय हुई और न ही प्रशासन व जिला परिवहन विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया। हालांकि आगर जिले के बस ठेकेदार लाल मोहम्मद ने भी मीडिया को बताया था की इस सम्बंध में सभी बस मालिको की बैठक लेकर मामले की जांच करवाई जाएगी। लेकिन सवाल यह उठता है की इस मामले को सामने आए हुएं एक सप्ताह का समय बीत गया है लेकिन उसके बाद भी ठेकेदार और जिला प्रशासन ने अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की। कार्रवाई नहीं होने के चलते निजी स्कूल के संचालक बैखोफ होकर अभिभावको से वाहन सुविधा के नाम पर मोटी रकम वसूल करके अपने बच्चो को सीएम राईक स्कूल की बसो में बैठा रहे है। जानकारी के अनुसार पूरे प्रदेश में समाया कम्पनी के नाम से सीएम राईज स्कूल की बसे संचालित करने हेतु ठेका दिया गया है। ठेकेदार के पास इतनी बडी मात्रा में बस नही थी की वह पूरे प्रदेश के सीएम राइज स्कूलो में नई बसो को लगा सके। इसलिए उसने निजी स्तर पर प्राइवेट स्कूल संचालको की बसे अटैच कर दी। इसमे भी कुछ निजी स्कूल संचालको ने जिला प्रशासन से दबाव डलवाकर के अपनी बसो को सीएम राईज स्कूल में अटेच करवाया है ताकि वे बस ठैकेदार से पैसे लेकर बसो की किश्ते तो भर ही सके साथ ही अभिभावको से भी राशि की वसूली कर सके।
नगर के 3 निजी स्कूलो ने अटेच कर रखी है बसे
नगरीय क्षेत्र के कम से कम 3 निजी स्कूल ऐसे है जिन्होने सीएम राईज स्कूल में बसो का संचालन करने वाले ठेकेदार पर जिला प्रशासन के जरीए दबाव बनाकर अपनी बसे स्कूल में लगवाई है और ये निजी स्कूल संचालक सीएम राईज स्कूल की बसो में ही अपने स्कूलो के बच्चो को लाना ले जाना कर रहे है। ये निजी स्कूल संचालक बसो के नाम पर पालको से तो राशि वसूल कर ही रहे हे साथ ही साथ सीएम राईज स्कूल के ठेकेदार से भी लगभग 45 हजार रूपये प्रति माह की राशि वसूल कर रहे है। कूल मिलाकर निजी स्कूल संचालक एक टिकट में दो सवारी के मजे ले रहे है और प्रशासन तथा शिक्षा विभाग मुखदर्शक बनकर तमाशा देखते हुएं स्कूली बच्चो की सुरक्षा के साथ खिलवाड कर रहा है।