सुसनेर। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों, ई-मेल, चैट वगैरह के जरिए बच्चों या महिलाओं को तंग करने के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। डिजिटल के जरिए से किसी को अश्लील या धमकाने वाले संदेश भेजना या किसी भी रूप में परेशान करना साइबर क्राइम के दायरे में आता है। किसी के खिलाफ दुर्भावना से अफवाहें फैलाना, नफरत फैलाना या बदनाम करना और सांप्रदायिकता फैलाने के मामले में आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए) के तहत तीन साल तक की जेल औया जुर्माने का प्रावधान है।
उक्त बाते रविवार की शाम को 4 बजे तहसील रोड पर स्थित शासकीय स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय में मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के दोरान पुलिस थाने के सबइंस्पेक्टर दीपक विश्वकर्मा ने एमएसडब्ल्यू व बीएसडब्ल्यू के छात्रो को सम्बोधित करते हुएं कही।
उन्होनें कहां की साइबर क्राइम में आईटी एक्ट के तहत पुलिस कार्रवाई करती है। आईटी एक्ट में जुर्माने से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। कानून में निर्दोष लोगों को साजिश के तहत फंसाने के लिए की गई शिकायतों से सुरक्षित रखने की भी व्यवस्था है, लेकिन कंप्यूटर, दूरसंचार और इंटरनेट यूजर को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
थाने बालकिशन त्रिकार व पदम शाक्य ने भारतीय दंड विधान की विभिन्न धारो के साथ ही बाल अपराध एवं नशा मुक्ति अभियान को लेकर विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होने कहां की इंटरनेट, इलेक्ट्रानिक या सोशल नेटवर्किंग से की जाने वाली धोखाधडी, जालसाजी जैसे अपराध सायबर क्राइम के अन्तर्गत आते है अभी ज्यादातर स्केम सोशल मीडिया पर ही चल रहे है। इसलिए जितना हो सके इससे बचे। सोशल मीडिया पर किसी भी चीज को फारवर्ड करने से बचे साथ ही किसी भी व्यक्ति को अपना ओटीपी न भेजे। इससे आप किसी अप्रिय घटना का शिकार भी हो सकते है।
इस अवसर पर ब्लॉक समन्वयक सत्यनारायण सोनी, परामर्शडादा डॉ.जगदीशप्रसाद कुल्मी, विष्णु राठौर, कैलाश विश्वकर्मा, देवकरण विश्वकर्मा व बड़ी सँख्या में विद्यार्थियोंगण मोजुद रहे।