प्रज्ञाकुँज आमला में गायत्री परिवार ने किया सामुहिक तर्पण कार्यक्रम का आयोजन
सुसनेर। तर्पण एक सामाजिक उत्तरदायित्व है, समाज के महापुरुषों ने समाज को जो अपना तन मन और धन का समर्पण किया किया है, उनके निमित श्रद्धापूर्वक किए गए समस्त उत्तर कार्य ही श्राद्धतर्पण कहलाते है। ये विचार प्रज्ञाकुँज आमला में अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में शनिवार को सर्वपितृ अमावस्या पर आयोजित सामूहिक पितृ तर्पण के दौरान शांतिकुंज प्रतिनिधि के रूप में रामस्वरूप मीणा ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होने कहां की हिंदू धर्म में शास्त्रों में देव तर्पण, ऋषि तर्पण, यम तर्पण , देव मानव तर्पण, सात पीढ़ियों के पितृ तर्पण के साथ महापुरुषों के तर्पण का विधान बताया गया है। श्राद्ध पक्ष में पितृ अपने मोक्ष की अपेक्षा से परिवार में उपस्थित होते है। इस दौरान उनके प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए उनके निमित्त की गए कर्म ही उनके मोक्ष का मार्ग खोलते है। अतः सभी को अपने पितरों के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए उनके अधूरे सत कार्यों को पूर्ण करनें का संकल्प लेना चाहिए। तर्पण के कर्मकांड रामस्वरूप मीणा और सरदार सिंह रलायती ने संपन्न करवाए।
इस दौरान देश की सुरक्षा में बार्डर पर शहीद होने वाले सैनिक, महापुरुषों एवं अपने परिवार के आलावा दिवंगत मित्रो, सोतेले परिवारजन व परायो की आत्मशांति हेतु भी तर्पण करवाया गया। तर्पण उपरांत पितृमोक्ष यज्ञ भी करवाया गया जिसमे श्रद्धालुओं ने आहुतियां समर्पित की। इस आयोजन में गायत्री परिवार के नैष्ठिक परिजनों सहित जिले की चारो तहसील के अलावा समीपस्थ जिले एवं अन्य प्रदेश से भी श्रद्धालुओं ने भाग लिया। श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था भी आयोजन समिति द्वारा की गई थी।