राकेश बिकुन्दीया सुसनेर। नगर से करीब 2 किलोमीटर दूर सुसनेर- जीरापुर मार्ग पर ग्राम नांदना में लाल माता का मंदिर विराजमान है। कहां जाता है यहां माता भक्तों को संतान प्राप्ती का वर देती है यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है की जो भी मन्नत वें मांगते है वह सारी पूरी होती है। मंदिर के प्रति सुसनेरवासीयो और ग्रामवासीयों की आस्था जगी तो लगभग 12 लाख रूपए के जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार करवा दिया। प्रतिमा दर्शन के साथ ही शास्त्रों में शिखिर दर्शन का भी विशेष महत्व है इसलिए 31 फिट ऊंचे शिखर का निर्माण भी किया गया है। नवरात्र यहां दूर-दूर से आने वाले श्रृद्धालुओं का तांता लग रहा है। हर दिन मातारानी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जा रही हैं।
आस्था का केन्द्र बना है मंदिर
जानकारी के अनुसार मंदिर करीब 45 से 50 वर्ष पुराना होकर एक विशाल वट वृक्ष के नीचे कच्चे मकान के रूप में बना हुआ था। मंदिर पूरी तरह से रेत और मिट्टी से बना हुआ था। जिसका जनसहयोग से जीर्णोद्धार कर पक्का निर्माण किया गया है। आज यह मंदिर ग्राम और सुसनेर ही नहीं बल्की दूर-दूर से आने वाले श्रृद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है।
दो रूपों में विराजमान है माता
मंदिर में दो देवीया लाल माता और चण्डी माता विराजमान है। एक ब्रह्माणी रूप में तो दुसरी रौद्र रूप धारण किए हुए है। लाल माता के इस मंदिर से कई चमत्कारीक घटनाएं भी जुडी हुई है। कहां जाता है कि सच्चे मन से माता के दर्शन करने वाले श्रृद्धालु को यहां से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। यहां आने वाले श्रृद्धालुओं की मातारानी हर मनोकामनाएं पुरी करती है। मंदिर में वर्षो से अखण्ड ज्योति जल रही है। इसकी स्थापना के बारे में ग्रामवासीयो को भी पता नही है।