2 सांसद, 2 विधायक, 4 तहसीलदार, 2 जनपद सीईओ और 4 थाने के साथ ही 2 ग्राम पंचायते है गांव के सीमा क्षेत्र में शामिल
राकेश बिकुन्दिया, सुसनेर। आगर मालवा जिलें में दो विधानसभा आती है, एक है सुसनेर तो दूसरी आगर, लेकिन जिलें में एक गांव ऐसा भी है जहां के नागरिक हर बार के विधानसभा चुनाव में 2 विधायक चुनते है इतना ही नही बल्की लोकसभा चुनाव के समय भी 2 सांसदो के लिए मतदान करते है, इस गांव का नाम है आमला। जो की सुसनेर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में उज्जैन-झालावाड राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। 2013 में अस्तित्व में आए आगर-मालवा जिले के ग्राम आमला में 300 से अधिक मकान है और 1500 से अधिक लोगों की आबादी है। इस गांव की खासियत है कि इसे संभालने और संवारने का जिम्मा 2 सांसद, 2 विधायक, 4 तहसीलदार, 2 सीईओ, 4 थाने, 2 ग्राम पंचायतों के पास हैं। लेकिन उसके बाद भी यहां के नागरिक विकास के लिए तरस रहे है। गांव की खासीयत ही सबसे बडी परेशानी बनी हुई है। इस गांव में राजगढ और देवास-शाजापुर के सांसद है, तो सुसनेर और आगर के विधायक का क्षेत्र भी इस गांव के तहत आता है। आमला गांव के चार भागों में विभाजित होने की वजह से विकास के नाम पर अधिकारियों कथित तौर पर एक-दूसरे पर काम टालते रहते है। दरअसल आमला गांव के कुछ मकान आगर तहसील में आते है तो, कुछ सुसनेर तहसील में, कुछ नलखेडा में तो कुछ बडोद तहसील की सीमा के हैं। गांव की गलियां भी अलग-अलग तहसील का प्रतिनिधित्व करती हैं। एक ही गांव में रहने के बाद भी दो भाई अलग-अलग तहसील में रहते है। उनके विधायक और सांसद भी अलग है, तो उनके राशन कार्ड और वोटर आईडी भी अलग-अलग विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र में आते है। ग्रामीणों के लिए दिक्कत है कि उनके पड़ोसी के सरकारी कार्य कई बार गांव में ही हो जाते है, लेकिन उनका तहसील क्षेत्र अलग होने पर उन्हें कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। अलग-अलग सांसद और विधायक के अलावा पुलिस थाना, जनपद और ग्राम पंचायतो में भटकना पडता है।
गांव में लगती है 4 तहसीले
दरअसल, इस ग्राम में चार तहसीलों की सीमा लगती है। यहां के रहवासी दो विधायक और दो सांसदो के लिए मतदान करते है। ग्राम में चार तहसील क्षेत्रों की सीमा है, तो आगर और सुसनेर अनुविभागीय अधिकारियों के कार्यक्षेत्र के बीच भी यह गांव बंटा हुआ है।
4 थानो और 2 पंचायतो में बंटा है गांव
ग्राम में चार थाना क्षेत्रों की सीमा मिलती है। यह गांव दो पंचायत में बंटा है, गांव का एक हिस्सा ग्राम पंचायत आमला में है, तो दूसरा हिस्सा आमला चौराहा से सात किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत सेमलखेडी में जुडा है। यह विविधता इस गांव की खासियत बनने के साथ ही ग्रामीणों के लिए सिरदर्द भी बन गई। आमला के नागरिकों को अपने घर, अपने खेत के लिए अलग-अलग तहसीलों में जाना पड़ता हैं. वहीं, किसी भी शासकीय योजना के लाभ के लिए अलग-अलग सांसद और अलग-अलग विधायकों से मनुहार करना होती है।