रैली और सभा के बाद छा जाता है सन्नाटा, राय जाहिर करने से बच रहा है वोटर
आगर जिले की सभी खबरों से अपडेट रहने के लिए बेल आइकॉन पर क्लिक कर सब्सक्राइब जरूर करे- ताकि आप तक सभी ख़बरों का नोटिफिकेशन पहुंचता रहे
मालवा ख़बर# राकेश बिकुन्दिया, सुसनेर।
इस विधानसभा चुनाव में मतदाता पहले से ज्यादा होशियार हैं। जैसे ही कोई उम्मीदवार, समर्थक और कार्यकर्ता उसके दरवाजे पर आता है, वह मुस्कुराहट के साथ उसका अभिवादन करता है। फिर सिर हिलाकर उन्हें ही वोट देने का वादा करता है। फिर कोई दूसरा भी पहुंच जाए, तो यहीं पुनरावृत्ति होती है। चाहे कोई रैली लेकर पहुंचे या फिर सभा करे, मतदाता इन सबका इतना अभ्यस्त है कि कोई कितना भी पूछे तो अपनी राय सार्वजनिक नहीं करता है। नामांकन, संवीक्षा और प्रतीक चिह्न आवंटन की जिम्मेदारी से भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य दलों के उम्मीदवार मुक्त हो गए हैं। उनका पूरा ध्यान प्रचार-प्रसार पर आ गया है। इसके चलते सुबह से देर रात तक गली-मोहल्ले में ढोल नगाड़ों की गूंज हो रही है। प्रचार-प्रसार के 8 दिन शेष हैं।
हर उम्मीदवार हर मतदाता तक पहुंचने को बेचैन है
मतदाता भी उम्मीदवार के इरादे जानता है। जितने भी लोग उसके द्वार पहुंच रहे हैं, उनका खुशी-खुशी स्वागत कर रहे हैं और वोट देने का वादा भी। इससे उम्मीदवार और समर्थक ये अंदाजा लगा लेते हैं कि ये इलाका उनका है और दूसरा फलां का। कुछ पुराने चुनाव की लहर से आकलन कर रहे हैं। जबकि मतदाता पहले से ज्यादा जागरूक है। उसे भी हर किसी का परफारमेंस समझ में आने लगा है। वो तो 17 नवम्बर को मतदान के दिन ही अपनी अंतिम राय इवीएम पर देगा।
प्रत्याशियों के जाते ही गली-मोहल्लों में सन्नाटा
किसी भी क्षेत्र में जब तक प्रत्याशी और कार्यकर्ता प्रचार-प्रसार में रहते हैं, तब तक गहमागहमी रहती है। उनके जाते ही सन्नाटा छा जाता है। वोटरों के मुंह पर ताला लग लग जाता है। हां, पहली बार वोट डालने जा रहे कुछ युवा मुखर हो रहे हैं। मुद्दा छेड़ने पर खुलकर बोल भी रहे हैं। अन्य वोटरों के चुप्पी साधने से पहली बार ऐसे समीकरण बन रहे हैं। इसके कारण ज्यादातर क्षेत्र में हार-जीत पर संशय की स्थिति बनी है। किसी प्रत्याशी विशेष की कोई खास लहर भी दिखाई नहीं दे रही है।
सुनो सबकी, करो मनकी के तर्ज पर वोटर का मिजाज
इस चुनाव प्रचार में अभी तक भाजपा और कांग्रेस से किसी भी स्टार प्रचारक की सभाएं नही हुई हैं। नलखेडा में जरूर भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में सीएम शिवराज आने वाले थे किन्तु एन वक्त पर वे भी नही आए। तो वही अब राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 10 को आ रहे है लेकिन इसको लेकर भी तीन बार तारीखे चेंज हो चुकी है। इसलिए मतदाताओ के साथ ही कार्यकर्ताओ में भी असमंजस है। हालाकि नेताजी की रेलिया और छोटी-छोटी सभा में भीड़ को देखकर मतदाताओं के रुख का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन सभा के बाद सड़कों पर छाया सन्नाटा मतदाताओं की सुनो सबकी, करो मन की का संकेत दे रहा है। फिलहाल मतदाता अपने फैसले को 17 नवम्बर को इवीएम में कैद करेगा।