तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी (फाइल)
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सेंथिल बालाजी की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडी की गिरफ्तारी को वैध ठहराए जाने के बाद अब चेन्नई की एक अदालत ने तमिलनाडु के जेल में बंद मंत्री वी सेंथिल बालाजी को जमानत देने से इनकार कर दिया।
सेंथिल बालाजी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
बता दें कि ईडी ने बीती 14 जून को तमिलनाडु सरकार में मंत्री सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) मामले में गिरफ्तार किया था। बालाजी पर आरोप है कि उन्होंने पूर्व की अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए नौकरी के बदले उम्मीदवारों से पैसे लिए थे। बालाजी पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। इस मामले में ईडी ने बालाजी के ठिकानों पर छापेमारी कर उन्हें गिरफ्तार किया था। ईडी द्वारा गिरफ्तारी के विरोध में सेंथिल बालाजी ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था लेकिन हाईकोर्ट ने बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सेंथिल बालाजी और उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
कौन हैं सेंथिल बालाजी?
47 साल के सेंथिल बालाजी तमिलनाडु की डीएमके-कांग्रेस गठबंधन सरकार में बिजली मंत्री हैं। सेंथिल का जन्म 21 अक्तूबर 1975 को करूर में हुआ। सेंथिल ने गवर्नमेंट एआरटीएस कॉलेज करूर से पढ़ाई की है। 1997 से सेंथिल ने राजनीति में कदम रखा। पहली बार उन्होंने निकाय चुनाव लड़ा और लोकल बॉडी के सदस्य चुने गए। 2011 से 2015 के बीच वह तमिलनाडु सरकार में परिवहन मंत्री भी रहे।
अब जानिए ED ने सेंथिल के खिलाफ कार्रवाई क्यों की?
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) धनशोधन के एक मामले की जांच कर रही है। इसी सिलसिले में करूर जिले से ताल्लुक रखने वाले द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के कद्दावर नेता बालाजी से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने बालाजी के खिलाफ कथित ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले में पुलिस और ED को जांच की अनुमति दी थी, जिसके कुछ महीने बाद यह कार्रवाई की गई थी।