आईजी विकास वैभव ने प्रताड़ना का आरोप लगाया था, अब डीआईजी अनुसूइया ने लिखा है त्राहिमाम।
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बिहार पुलिस महकमे में सबकुछ ठीक चल रहा है, ऐसी गारंटी तो अब गृह विभाग के मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नहीं दे सकते। ‘अमर उजाला’ ने मंगलवार को सबसे पहले सामने लाया था कि होमगार्ड एवं फायर सर्विसेज में सेवा दे रहे भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों के बीच बहुत कुछ हो रहा है। डीजी शोभा ओहटकर पर फिर प्रताड़ना का आरोप लगा है और इस बार एक महिला डीआईजी ने यह आरोप लगाया है। उस त्राहिमाम संदेश को सामने लाने के बाद जब डीआईजी अनुसूइया रणसिंह साहू से बातचीत का प्रयास किया गया तो उन्होंने मना कर दिया, जबकि आईजी विकास वैभव की प्रताड़ना के केस में चुप रहीं डीजी शोभा ओहटकर ने ‘अमर उजाला’ से लंबी बातचीत की। इसी दरम्यान उन्होंने बताया कि उन्हें आईजी सुनील कुमार नायक ने एक रिपोर्ट भेजी है। इस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से जानने के लिए जब उनसे सीधे संपर्क किया गया तो उन्होंने यह कहकर चौंका दिया- “महिला डीआईजी ने धमकाया है कि वह उनके चैंबर में अपने कपड़े फाड़कर रेप में फंसा देंगी।”
वैभव की जगह आए हैं नायक, बिनोद की जगह अनुसूइया
इसी साल फरवरी में होमगार्ड एवं फायर सर्विसेज़ के आईजी विकास वैभव ने अपनी तत्कालीन रिपोर्टिंग मैनेजर डीजी शोभा ओहटकर पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। उन्होंने बताया कि था कि डीजी ने उन्हें गालियां भी दीं और बिहारी कामचोर भी कहा। इस त्राहिमाम संदेश के बाद प्रताड़ना का आरोप लगाने वाले आईजी विकास वैभव और दफ्तर में ही बीमार पड़कर अस्पताल पहुंचे डीआईजी बिनोद कुमार को होमगार्ड एवं फायर सर्विसेज से मुक्ति मिल गई। बिनोद कुमार कुछ दिन बाद गृह विभाग के तहत ही दूसरी जगह पदस्थापित हुए, जबकि राज्य सरकार ने आईपीएस विकास वैभव को सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश पर परामर्शी बनाकर दूसरे तरह का काम सौंप दिया। विकास वैभव की जगह आईजी बनकर आए सुनील कुमार नायक डीजी-डीआईजी विवाद में अब सामने आए हैं। डीआईजी बिनोद कुमार की जगह होमगार्ड एवं फायर सर्विसेज़ में आयीं अनुसूइया रणसिंह साहू इस बार चर्चा में हैं।
बीमारी बता मेले में घूम रही थीं डीआईजी…
आईजी सुनील कुमार नायक ने डीजी का किया समर्थन
डीजी शोभा ओहटकर ने आईजी सुनील कुमार नायक की रिपोर्ट का जिक्र किया और जब ‘अमर उजाला’ रिपोर्टर ने डीजी के मातहत सेवारत इस अधिकारी से बातचीत शुरू की तो उन्होंने कागजात नहीं दिखाए, बाकी सब कह सुनाया। उन्होंने कहा- “डीआईजी अनुसूइया रणसिंह साहू को 23 अगस्त को रिव्यू के लिए मैंने बुलाया था। मुझे उनके काम की समीक्षा की जिम्मेदारी डीजी ने दी थी। मेरे बुलाने पर डीआईजी ने कहा कि आपको मेरे काम की समीक्षा करने का कोई अधिकार नहीं है। जब तक आप मेरे द्वारा लिखे गए पत्र को पढ़ नहीं लेते हैं, तब तक आप मुझे किसी भी समीक्षा के लिए नहीं बुला सकते हैं। तो, मैंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। मुझे ऐसा आदेश मिला है कि मुझे आपके काम की समीक्षा करनी है। इस प्रक्रिया में मैं आपके काम की समीक्षा कर रहा हूं। इसपर डीआईजी ने कहा कि आप मेरे और मैडम के बीच में न पड़ें, वरना आपको बहुत परेशानी हो जाएगी। मैंने उन्हें समझाया कि इस तरह की बातें करना अच्छी बात नहीं है। अगर आप कुछ गलत करती हैं तो मैडम (डीजी शोभा ओहटकर) करेक्शन करती हैं। ऐसा नहीं है कि वह (डीजी शोभा ओहटकर) पर्टिकुलर किसी को टारगेट करती हैं। मैंने भी कभी गलती की तो उन्होंने (डीजी शोभा ओहटकर) मुझे भी करेक्ट किया। फिर मैं सीख गया। यह सब प्रोसेस होता है सीनियर से सीखने का। तो, फिर वह बोलने लग गईं कि मुझे सुझाव मिला है कि जहां-जहां सीसीटीवी नहीं है, वहां मैडम (डीजी शोभा ओहटकर) से बुरा बर्ताव करें। चूंकि मैं रिव्यू कर रहा हूं तो यहां मेरे चेंबर में आकर अपना कपड़ा फाड़ कर रेप का केस कर दूं। जो खिलाफ रहे, उन पुरुष अधिकारियों-कर्मचारियों पर केस कर दूं।”
साढ़े छह करोड़ का घोटाला पकड़ फंसीं डीआईजी
न कोई रोक सकेगा, न हम पुरुषों की गवाही मानी जाएगी
डीआईजी जब ऐसा बोलकर चली गईं तो मुझे डर है कि वह ऐसा कर भी सकती हैं। दफ्तर में डीजी के अलावा ज्यादातर पुरुष ही हैं। हमारे दरवाजे पर भी पुरुष कर्मी ही रहता है। ऐसे में वह यहां जबरदस्ती आकर फंसाने का प्रयास करें तो कोई रोक भी नहीं सकता है और किसी की गवाही भी नहीं मानी जाएगी। हमलोग प्रताड़ित हो सकते हैं। इसलिए किसी झूठे केस से बचने के लिए एक गोपनीय रिपोर्ट में मैंने जिक्र किया है कि डीआईजी अनुसूइया रणसिंह साहू हमारी डीजी शोभा ओहटकर के बारे में भी क्या बोल रहीं और मेरे बारे में भी क्या बोल रहीं। इन दोनों बातों के मैनेजमेंट का जिक्र करते हुए एक रिपोर्ट मैंने मैडम को दी है। उन्होंने जहां भी भेजा हो, यह वही बेहतर समझती हैं या बता सकती हैं।
डीजी पर पिछली बार आईजी ने लगाया था आरोप