सुसनेर। मोरुखेड़ी मंदिर परिसर में चल रही शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन कथावाचक रमेश भार्गव छबड़ा ने शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया। प्रसंग सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। शिव- पार्वती विवाह की झांकी भी सजाई गई।
भार्गव ने कहा कि पर्वतराज हिमालय की घोर तपस्या के बाद माता जगदंबा प्रकट हुईं और बेटी के रूप में घर में अवतरित होने का वरदान दिया। इसके बाद माता पार्वती अवतरित हुई। बेटी के बड़ी होने पर पर्वतराज को उनकी शादी की चिंता सताने लगी। उन्होंने कहा माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। एक दिनएक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया।
उन्होंने कहा कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत-पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए। लेकिन माता पार्वती खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार कर ली। प्रसंग के दौरान शिव-पार्वती की झांकी ने श्रद्धालुओं का मन मोहा।