गौहर महल में आयोजित जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम के दूसरे दिन हुए कई सांस्कृतिक कार्यक्रम
भोपाल। मप्र उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम का दूसरा दिन उर्दू शायरी, बाल साहित्य, चिलमन मुशायरा शायरात और रक्से सूफियाना के नाम रहा। कार्यक्रम की शुरुआत बाल साहित्य पर हुए सेमिनार से हुई। इस मौके पर वक्ताओं के रूप में साहित्यकार मोहसिन खान एवं डॉ. आसिफ सईद ने बाल साहित्य के हवाले से चर्चा की। इसके बाद चिलमन मुशायरा शायरात आयोजित हुआ। इस मौके पर शायर रूशदा जमील ने अपने कलाम पेश किए, जिसे सुनकर श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाई। इस आयोजन में सुसनेर के युवा कलाकार शुभम दिनेश राठौर ने भी अपनी प्रस्तुतियो से समां बांधा।
अंतिम सत्र में रक्से सूफियाना के तहत रानी खानम एवं शायर रूशदा जमील उनके समूह आमद कथक ग्रुप द्वारा सूफियाना नृत्य प्रस्तुत किया गया। उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कहा कि स्वाधीन भारत मे हमें पंचतंत्र और इस्माइल मेरठी के लिखे हुए बाल साहित्य की शिद्दत से जरूरत है, यह हमें हमारी परंपराओं से और संस्कारों से जोड़ कर रखने में मदद करने वाले हैं।
साहित्यकारों ने बाल साहित्य पर की चर्चा
कार्यक्रम के दौरान बाल साहित्य पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। इस मौके पर साहित्यकारों ने बाल साहित्य पर अपने विचार व्यक्त किए। साहित्यकार महेश सक्सेना ने कहा कि एक समय था कि जब दादी-नानी कहानियों के माध्यम से बच्चों में संस्कार और जीवन मूल्य बच्चों की तरबियत में शामिल कर देती थीं। अब किसी को इतना समय नहीं तो बच्चे अपनी मर्जी से किसी ओर भी भटक जाते है। इस पर विचार करने की आवश्यकता है। सेमिनार में मोहसिन खान और डॉ. आसिफ सईद ने अपने भी विचार रखे।