खजुराहो। मध्य प्रदेश में 50वां खजुराहो डांस फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। 20 फरवरी का दिन खजुराहो नृत्य महोत्सव के लिए बड़ा ही खास रहा, क्योंकि इस दिन 1484 कलाकारों के कदम एक साथ कथक की थाप पर थिरके और उन्होंने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवा लिया। इसे ‘कथक कुंभ’ का नाम दिया गया है। डांस फेस्टिवल 26 फरवरी तक चलेगा। खास बात यह है की इस आयोजन में सुसनेर की शुभा पिता शैलेश श्रीवास्वत भी शामिल रही। जिन्होने कथक नृत्य नृत्य की प्रस्तुति देकर विश्व रिकार्ड में अपनी सहभागीता की। इस उपलब्धि पर उन्है प्रशस्त्री पत्र देकर के सम्मानित भी किया गया। आयोजन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आतिथ्य में किया गया।
उन्होने अपने बयान में कि खजुराहो नृत्य महोत्सव का बहुत गौरवशाली इतिहास है। इसकी स्वर्ण जयंती के अवसर पर मुझे महोत्सव में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जारी बयान में बताया कि यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की लिस्ट में शामिल खजुराहो में 1484 कथक कलाकारों ने 20 फरवरी को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाया है।
इन सभी कलाकारों में ‘राग बसंत’ की लय पर नृत्य कर यह विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। हाथों में दीपक लेकर जब एक लय और ताल पर घुंघरूओं की झनकार के बीच सभी कथक नृत्यांगनाओं के कदम थिरके तो ऐसा लगा मानों भारतीय संस्कृति खिलखिला रही हो। कलाकारों के चेहरे की भाव-भंगिमाओं ने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध होने पर विवश कर दिया था। खास बात रही कि यह रिकॉर्ड 50वें खजुराहो नृत्य महोत्सव के उद्घाटन वाले दिन ही बनाया गया। मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग को सबसे बड़े कथक नृत्य ‘कथक कुंभ’ का आयोजन किया गया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तरफ से विभाग को प्रमाण पत्र भी दिया जा चुका है।
मध्य प्रदेश सरकार की इस उपलब्धि के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खजुराहो में आदिवासी और लोक कलाओं के प्रशिक्षण के लिए गुरुकुल स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इससे प्राचीन भारतीय विरासत का भी विस्तार होगा। बता दें, यह देश का पहला गुरुकुल होगा। मुख्यमंत्री ने नृत्य को भगवान से सीधे संपर्क साधने का एक माध्यम बताया। उन्होंने ‘कथक कुंभ’ में भाग लेने वाले सभी कलाकारों को बधाई दी।
गौरतलब है कि प्रसिद्ध नृत्य गुरु राजेंद्र गंगानी की कोरियोग्राफी में राज्य के विभिन्न शहरों से आए कलाकारों ने राग बसंत पर करीब 20 मिनट की शानदार प्रस्तुति देकर यह विश्व रिकॉर्ड बनाया है। इससे पहले लगभग डेढ़ महीने पहले ग्वालियर में तानसेन समारोह के तहत ताल दरबार कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें एक साथ 1282 तबला वादकों ने प्रस्तुति देकर गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।