सुसनेर। ग्राम दिवानखेड़ी में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन बुधवार को कथा में पंडित सच्चिदानंद शर्मा ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने में प्रतिदिन कई पाप होते है। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया। कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान किया और कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है।
उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। व्यासपीठाधीश्वर ने बुधवार को भागवत कथा के दौरान कपिल चरित्र, सती चरित्र, धु्रव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नृसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। कथा के दोरान भगवान शंकर के ब्याह की सुंदर झांकी बनाकर चित्रण किया गया जिसमें सभी भक्तों ने झूमकर नृत्य किया। इस अवसर पर बडी संख्या में श्रृद्धालुजन उपस्थित रहे।