राकेश बिकुन्दिया, सुसनेर। सरकार कितने ही सख्त कानून बना दे, अवैध धंधे वाले कोई चिंता नही करते है और वे बेखोफ होकर अपना कार्य करते रहते है जिसके चलते शासकीय मिशनरी भी शंका के घेरे में आ जाती है। नगर में धड़ाधड़ बन रही अवैध कालोनिया तो राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की सांठगांठ से बन रही है, जमीन के जादूगर प्रशासन की जेब गरम कर देते है इसलिए उन पर कोई कार्रवाई नही करता। यही कारण है कि भूमाफिया और धरातल पर कार्य करने वाले राजस्व विभाग के एक कर्मचारी की जोड़ी नगर में खूब सुर्खियां बटोर रही है। नेहशन हाइवे पर जगह-जगह काटी जा रही अवैध कालोनीयो में इस जोड़ी का महत्वपूर्ण किरदार है। कागजो में हेराफेरी कर शासकीय जमीन पर मुआवजा लेने के साथ ही प्लाट भी काटे जा रहे। प्रशासन को नगर में कट रही ऐसी अवैध कालोनियों के खिलाफ शासन के नियमानुसार सख्त कार्यवाही की जाना चाहिए जिससे प्लाट धारको को समुचित मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो सके साथ ही नगर परिषद को राजस्व की प्राप्ति भी हो सके।
जमीनों के सौदागरों की ताल पर नाच रहा प्रशासन, 40 बीघा शासकीय जमीन पर कब्जा कर बेच रहे धीरे धीरे, हो रही मुआवजा लेने की कोशिश
सुसनेर नगरीय क्षेत्र में इंदौर कोटा राजमार्ग की बेशकीमती सरकारी जमीन जिस तरह से कब्जा करके बेची जा रही है और लगातार खुलासे के बाद भी प्रशासन ने जिस तरह से चुप्पी साध रखी है उससे लगता है की प्रशासन जमीनों के सौदागरों की ताल पर नाच रहा है या अपने निजी फायदे के लिए काम कर रहा है और वेतन सरकार से ले रहा है। ऐसा ही एक मामला परसुलिया रोड और मोड़ी रोड के बीच के शासकीय सर्वे नंबर 2007 का हे इससे जुड़े दो अन्य नंबर 1995 और 1998 भी है ये भी सरकारी है इन सब सर्वे नंबर की करीब 40 से 50 बीघा जमीन पर धीरे धीरे कब्जा करके प्लाट काटे जाकर बेचे जा रहे है।
नगर के बीच होने की वजह से इनकी कीमत करोड़ों में हे बिजली ग्रिड के समीप इन सर्वे नंबर से होकर जीरापुर से डग तक की सड़क का निर्माण किया जा रहा है इन सर्वे नंबर पर कब्जा करके उसे बेचने वाले अब इस सड़क निर्माण में शासकीय जमीन का मुआवजा पाने की कोशिश कुछ शासकीय कर्मचारियों को अपने साथ लेकर कर रहे है इनमे तहसील का एक अधिकारी भी शामिल है।
नगरीय क्षेत्र की जमीन है इससे राजस्व का कोई लेना देना नही यह कहकर जिम्मेदार अपना पल्ला झाड रहे है जबकि यह राजस्व की भूमि होकर चरनोई भूमि के तौर पर रिकार्ड मे दर्ज है तो फिर राजस्व विभाग क्यों मोन है तीन सालो में राजस्व के कुछ लोगो ने करोड़ों की संपत्ति बनाई है जो नोकरी लगने के समय गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते थे वे करोडो में खेलने लगे है उन्होंने अपने परिजनों के नाम कुछ बेशकीमती प्लाट भी सरकारी जमीन देने की आड़ में जमीन के जादूगरों से निशुल्क हासिल किए है और इसके लिए अनुमति अपने वरिष्ठ अधिकारियों से नही ली हैजिम्मेदार इंदौर कोटा राजमार्ग की किसी भी एक कालोनी का सीमांकन कर ले तो सारी सच्चाई सामने आ सकती है।