ग्वालियर रियासत के श्रीमंत जीवाजीराव ने करवाया था मंदिर का निर्माण, आज भी मोजूद है शिलालेख
सावन पर विशेष- हमारे शिवालय
राकेश बिकुन्दिया, सुसनेर। हमारे द्वारा शुरू की गई थीम हमारे शिवालय में हम आपको श्रावस मास के अवसर पर ऐसे शिवालय से अवगत कराने जो रहे है जो त्रिवेणी संगम पर स्थित होकर श्रृद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। नगर से करीब 15 किलो मीटर दुर त्रिवेणी संगम पर स्थित क्षेत्र का प्रसिद्ध तारकेश्वर महादेव मंदिर इन दिनो श्रृद्धालुओ की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यह क्षेत्र कभी ग्वालियर रियासत का हिस्सा था। मंदिर निर्माण के सम्बंध में मान्यता है की ग्वालियर राजघराने के श्रीमंत सरकार जीवाजीराव के द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया था। मोडी के समीप ग्राम ताखला में लखुंदर, कालीसिंध तथा भाटन नदी का त्रिवेणी संगम होने से इस स्थान का विशेष महत्व माना जाता है।
श्रावणमास के चलते इस त्रिवेणी संगम पर भक्तो की भीड उमड रही है। इस प्राकृतिक स्थल की आकर्षक छटा पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ यहा आने वाले लोगो का मनमोह रही है। त्रिवेणी संगम पर आकर मिलने वाली लखुंदर, कालीसिंध और भाटन तीनो नदीयो के जल का दृश्य देखते ही बन रहा है। सावन के चलते पहाडी से कल- कल बहता झरना भी श्रृद्धालुओ को अपनी और खींच रहा है। इसी संगम के समीप कालीसिंध नदी के तट पर पूर्व दिशा में तारकेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है। मंदिर का शिवलिंग स्वंभु होकर बडे आकार का है। शिवलिंग के चारो ओर पीतल के कवच की जलाधारी लगी हुई है। ताखला में प्रति वर्ष कार्तिक पुर्णिमा पर एक दिवसीय मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन मेले में आने वाली युवतीया अच्छे वर की प्राप्ती के लिए नदी में द्वीप जलाकर कालीसिंध नदी की पुजा- अर्चना भी करती है।
शिलालेख पर उल्लेख है जानकारी
इस प्राकृतिक स्थल की जानकारी समीप ही गढे हुए एक प्राचीन शिलालेख पर उल्लेखित है। जिसके अनुसार औकाफ िडपार्टमेंट ग्वालियर श्रीमंत सरकार जीवाजीराव साहब शिंदे अलीबहादुर के हुकुम से नदी कालीसिंध नदी, लखुंदर नदी ओर भाटन नदी के संगम व दुसरे पवित्र स्थानो पर नदी किनारे 300 गज तक हर तरह के शिकार करने की मनाही है। जो इस हुकुम को उसे ताजीराव ग्वालियर की दफा 263 के तहत सजा दी जाएगी। इस जानकारी के आधार पर इस स्थान को ग्वालियर रियासत के समय निर्मित होना बताया गया है।