नलखेड़ा। विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर पर अव्यवस्थाएं चरम बिंदु पर पहुंच चुकी है। जिस सनातन धर्म के प्रति आस्था और विश्वास लेकर भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहाँ हवन अनुष्ठान करने पहुंच रहे है उन भक्तों की आस्था से खिलवाड़ करते हुवे मंदिर प्रबंध समिति खंडित हवन कुंडों पर हवन अनुष्ठान करवा रही है जबकि हिन्दू धर्म में खंडित हवन कुंड पर हवन अनुष्ठान करना वर्जित तो है ही ऐसा करने पर यज्ञकर्ता को इसका लाभ भी प्राप्त नही होता है।

विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर जहाँ आस्था और विश्वास को लेकर प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन करने पहुंचते है जिनमे से सैकड़ो भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए सिद्धपीठ पर स्थित यज्ञशाला में हवन अनुष्ठान भी करते है।
सिद्धपीठ पर हवन अनुष्ठान करने के लिए समिति द्वारा हवन कुंड किराए के नाम पर 350 रुपये भी वसूल करती है। जिसके बदले में सामान्य दिनों में डेढ़ घंटे व पर्वो के दिनों में आधा से एक घंटा उन्हें हवन करने की अनुमति दी जाती है।
अब जबकि मंदिर प्रबंध समिति हवन कुंड का किराया वसूल रही है तो धर्म के विपरीत, धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुवे भक्तों से खंडित हवन कुंडों पर हवन अनुष्ठान क्यो करवा रही है।
मंदिर परिसर में स्थित यज्ञशाला में स्थित हवांकुण्डों में से कई हवन कुंडों में दरारें पड़ रही है तो कई हवन कुंडों में लगी ईंटे टूटी हुई है। इन्ही खंडित हवन कुंडों पर प्रतिदिन भक्त हवन अनुष्ठान करने को मजबूर भी हो रहे है।

मंदिर प्रबंध समिति जब हवन कुंडों का किराया वसूल रही है तो नियमित रूप से हवन कुंडों का रखरखाव क्यो नही करवाती है। जिस समय कोई हवन कुंड खंडित दिखाई दे उस पर हवन अनुष्ठान बंद करवा कर तत्काल उसे धर्म के अनुरूप दुरुस्त क्यो नही करवाती है।
वर्तमान में मंदिर प्रबंध समिति को इन हवन कुंडों के किराए से बड़ी धनराशि की आय हो रही है तो फिर समिति एक कर्मचारी की नियुक्ति इसी कार्य के लिए क्यो नही कर रही है।
माँ बगलामुखी मंदिर प्रबंध समिति को तत्काल सनातन धर्म के अनुरूप हवन कुंड बनवाकर या उनका दुरुस्तीकरण करवाकर भक्तों से हवन अनुष्ठान करवाना चाहिए जिससे कि उनकी धार्मिक भावनाएं आहत नही हो और जिस मनोकामना को लेकर वे हवन अनुष्ठान कर रहे है माता रानी उस मनोकामना को पूर्ण कर सके। क्योंकि धर्मग्रन्धों में इस बात का भी उल्लेख है कि यदि कोई हवन अनुष्ठान विधि विधान से नही किया जाता है तो उसका उल्टा असर होता है और हवन अनुष्ठान का फल भी नही मिलता है।
मंदिर प्रबंध समिति को आगामी शारदीय नवरात्रि के पूर्व सभी हवन कुंड को दुरुस्त करवाकर एक कर्मचारी की नियुक्ति केवल हवन कुंडों के रखरखाव के लिए की जाना चाहिए।


